गरियाबंद, बस्तर क्षेत्र में हाल ही में माओवादी आंदोलन में एक नया मोड़ आया है। 16 अक्टूबर को महाराष्ट्र में 61 माओवादी कार्यकर्ताओं ने हथियार डालकर सशस्त्र आंदोलन को विराम दिया था। इसके ठीक अगले दिन, 17 अक्टूबर को बस्तर में रूपेश दादा उर्फ सतीश दादा के नेतृत्व में 210 माओवादी कैडरों ने सरकार के सामने अपने हथियार सौंपे।
इस क्रम में उदंती एरिया कमेटी ने भी अपने सदस्यों को सशस्त्र संघर्ष को विराम देने और मुख्यधारा से जुड़ने की अपील की है। संगठन के एक वरिष्ठ सदस्य ने पत्र के माध्यम से सभी साथी कामरेडों से कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में सशस्त्र आंदोलन चलाना कठिन हो गया है और अब जनांदोलन और संवैधानिक माध्यमों से जनता की समस्याओं को हल करने पर ध्यान देना चाहिए।
पत्र में यह भी बताया गया कि पहले से ही कई महत्वपूर्ण कामरेड खो चुके हैं, इसलिए इस समय सही निर्णय लेना ज़रूरी है। संदेश में स्थानीय यूनिटों — गोबरा, सीनापाली, एसडीके और सीतानदी — के सदस्यों को भी सशस्त्र संघर्ष से विराम लेकर मुख्यधारा में लौटने की सलाह दी गई।
सुरक्षा एजेंसियों की प्रतिक्रिया
प्रशासन और सुरक्षा बलों ने बताया कि आत्मसमर्पण और संघर्ष विराम के संकेत को सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है। सरकार की नक्सल आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति के तहत हथियार डालने वाले व्यक्तियों को सुरक्षा, पुनर्वास और रोजगार के अवसर दिए जाएंगे।
हालांकि यह संदेश अंदरूनी संगठन से आया है, लेकिन इसका उद्देश्य संघर्ष विराम की दिशा में काम करना और समाज के साथ संवैधानिक माध्यमों से संवाद बढ़ाना बताया गया है। अधिकारियों ने कहा कि क्षेत्र में सतर्कता जारी रहेगी और किसी भी तरह की हिंसक गतिविधि पर कड़ी नजर रखी जाएगी।
210 माओवादी कैडरों का आत्मसमर्पण और उदंती एरिया कमेटी का संघर्ष विराम संकेत बस्तर में नक्सल उन्मूलन और स्थानीय शांति प्रक्रिया के लिए एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। यह क्षेत्र में विकास, सुरक्षा और सामाजिक समावेशन की दिशा में भी सकारात्मक संकेत देता है।