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संघ में सबसे महत्वपूर्ण है साधारण स्वयंसेवक, काशीनाथ गोरे ने रत्नदीप बनकर समाज को राह दिखाई: डॉ. मोहन भागवत

30 Aug 2025 | WEENEWS DESK | 124 views
संघ में सबसे महत्वपूर्ण है साधारण स्वयंसेवक, काशीनाथ गोरे ने रत्नदीप बनकर समाज को राह दिखाई: डॉ. मोहन भागवत


बिलासपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की 100 साल की यात्रा में साधारण स्वयंसेवकों का योगदान सबसे महत्वपूर्ण रहा है। यह बात आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने बिलासपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में कही। उन्होंने आरएसएस के पूर्व विभाग संघचालक, स्वर्गीय काशीनाथ गोरे के जीवन पर आधारित एक स्मारिका का विमोचन किया। डॉ. भागवत ने कहा कि काशीनाथ गोरे जैसे समर्पित स्वयंसेवकों ने रत्नदीप बनकर समाज को सही राह दिखाई है। उन्होंने बताया कि संघ की पूरी यात्रा ऐसे ही निस्वार्थ भाव से काम करने वाले स्वयंसेवकों के शुद्ध और सात्विक प्रेम से संभव हुई है।

यश की चाहत के बिना काम करते थे गोरे जी

डॉ. भागवत ने काशीनाथ गोरे को याद करते हुए कहा कि उनका व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली था कि जो भी उनसे मिलता, उनसे अपनापन महसूस करता था। उन्होंने कहा कि काशीनाथ जी बिना किसी यश की लालसा के समाज के लिए काम करते रहे। डॉ. भागवत ने जोर देकर कहा कि संघ का सच्चा स्वरूप उसके साधारण स्वयंसेवक के जीवन में दिखता है, जो शाखा के एक घंटे के अलावा बाकी 23 घंटे समाज की भलाई के लिए जीता है। उन्होंने कहा कि ऐसे स्वयंसेवक सर्वे भवन्तु सुखिनः के दर्शन को चरितार्थ करते हैं, जहाँ वे अपने परिवार के साथ-साथ पूरे समाज को भी संस्कारित करने का संतुलन बनाए रखते हैं।


अंधकार में दीपक बनकर जलना जरूरी


डॉ. भागवत ने कहा कि काशीनाथ जी जैसे लोग सूर्य के समान प्रखर होने के बजाय अंधेरे में जलने वाले दीपक की तरह थे, जिसकी समाज को सबसे ज्यादा जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि ऐसे ही सद्पुरुषों की शांत तपस्या से संघ आगे बढ़ा है। डॉ. भागवत ने कहा कि आज हम काशीनाथ जी को याद कर रहे हैं, ताकि उनकी कीर्ति नई पीढ़ी तक पहुंचे और समाज में पुरुषार्थ की भावना जागृत हो।


जीवन का हर क्षण राष्ट्र को समर्पित


कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने भी काशीनाथ गोरे को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्होंने अपने जीवन का हर पल राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने एक स्वयंसेवक, गृहस्थ और सरकारी कर्मचारी के रूप में हर भूमिका में एक आदर्श प्रस्तुत किया। डॉ. सिंह ने बताया कि काशीनाथ जी के व्यक्तित्व से ही उन्हें समाज के प्रति अपने कर्तव्यों का बोध हुआ, जिसने उनके जीवन को एक नई दिशा दी। इस कार्यक्रम में आरएसएस के कई वरिष्ठ पदाधिकारी भी मौजूद थे। स्मारिका विमोचन समिति के अध्यक्ष प्रदीप शर्मा ने सभी का आभार व्यक्त

किया।

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