गरियाबंद।कांग्रेस संगठन को नई ऊर्जा देने की दिशा में गरियाबंद में जिला अध्यक्ष चयन की प्रक्रिया तेज हो गई है। इसी कड़ी में राजस्थान की पूर्व राज्यमंत्री और पर्यवेक्षक रेहाना रियाज चिश्ती ने आज जिले का दौरा किया। कांग्रेस भवन में आयोजित बैठक में उन्होंने कार्यकर्ताओं से खुलकर चर्चा की। इस दौरान प्रदेश प्रभारी एवं पूर्व विधायक गुरुदयाल बंजारे, बिंद्रानवगढ़ विधायक जनक ध्रुव सहित बड़ी संख्या में पार्टी पदाधिकारी मौजूद रहे।
बैठक उपरांत सर्किट हाउस में पत्रकारों से चर्चा करते हुए पर्यवेक्षक रेहाना रियाज चिश्ती ने कहा —
“कांग्रेस का संगठन अब जमीनी स्तर से खड़ा होगा। समर्पित, ईमानदार और जनता से जुड़ा व्यक्ति ही जिला कांग्रेस अध्यक्ष बनेगा। उम्र का कोई बंधन नहीं है, अहमदाबाद अधिवेशन में यह तय किया गया है कि योग्य और कर्मठ कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता दी जाएगी।”
उन्होंने बताया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में शुरू हुआ ‘संगठन सृजन अभियान’ पूरे देश में चल रहा है। गुजरात से प्रारंभ यह मुहिम अब छत्तीसगढ़ तक पहुंच चुकी है। चिश्ती ने कहा —
“मैं यहां किसी गुट की नहीं, राहुल गांधी की प्रतिनिधि बनकर आई हूं। जो राय जिले से मिलेगी, वही मैं आलाकमान तक पहुँचाऊंगी। मुझे किसी से डर नहीं है — सभी कार्यकर्ता अपने विचार बेबाकी से रखें।”
उन्होंने बताया कि वे जिले में पांच दिन रुककर महिला संगठनों, व्यापारियों, अधिवक्ताओं, मीडिया प्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों से मुलाकात करेंगी ताकि संगठन के प्रति आमजन की राय जानी जा सके।
रेहाना रियाज ने कहा —
“कांग्रेस 140 साल पुरानी पार्टी है। अब वक्त है युवाओं की ऊर्जा और वरिष्ठों के अनुभव को साथ लेकर टीम तैयार करने का। नए लोगों को मौका मिलना चाहिए ताकि संगठन में उत्साह और नवाचार बना रहे।”
उन्होंने खुलासा किया कि अब तक जिला अध्यक्ष पद के लिए 9 नाम सामने आए हैं और भी नाम आने बाकी है इनमें से 6 नामों की सूची तैयार की जाएगी, जिसमें एक महिला और एक अनुसूचित जाति वर्ग से उम्मीदवार शामिल रहेगा।
पर्यवेक्षक ने स्पष्ट किया —
“जिला अध्यक्ष वही बनेगा जो मिट्टी से जुड़ा हो, समाज के अन्याय के खिलाफ खड़ा होता हो और जनता के बीच सम्मान रखता हो। कांग्रेस अब ऐसे नेतृत्व को आगे लाना चाहती है जो संघर्षशील और लोगों के बीच सक्रिय हो।”
उन्होंने कहा कि संगठन का लक्ष्य केवल पद बांटना नहीं, बल्कि कांग्रेस की उस मूल भावना को पुनर्जीवित करना है जिसने आज़ादी से लेकर अब तक देश को जोड़े रखा है।