रायपुर। CG NEWS: जब वर्ष 2018 में डायल 112 का टेंडर जारी हुआ था, तब सोसाइटी प्रकार की कंपनियों को भाग लेने की अनुमति नहीं थी। इसके बाद वर्ष 2023 में भी जब डायल 112 का नया टेंडर आया, तब भी आरएफपी प्रक्रिया में सोसाइटी प्रकार की कंपनियों को भाग लेने की अनुमति नहीं दी गई थी, हालांकि वह टेंडर बाद में रद्द हो गया।
लेकिन वर्तमान वर्ष 2025 के डायल 112 आरएफपी में “सोसाइटी प्रकार” की कंपनियों को भाग लेने की अनुमति दे दी गई है, जिससे यह स्पष्ट रूप से प्रतीत होता है कि किसी विशेष सोसाइटी प्रकार की कंपनी को लाभ पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर, प्रोप्राइटरशिप (Proprietorship) कंपनियों को भाग लेने की अनुमति नहीं दी गई है, जो पूर्णतः असमान और पक्षपातपूर्ण निर्णय है।
पहले की पात्रता शर्तों (Eligibility Criteria) में यह अनिवार्य था कि बोलीदाता के पास पिछले पाँच वित्तीय वर्षों में से किसी भी तीन वर्षों का अनुभव होना चाहिए।
लेकिन नई शर्तों में इस मानक को बदलकर केवल पिछले तीन वित्तीय वर्षों का अनुभव आवश्यक कर दिया गया है, जिससे कई अनुभवी कंपनियों को स्वतः ही बाहर कर दिया गया है।
सबसे चिंताजनक बात यह है कि डायल 112 की फ्लीट सेवा के अनुभव मानदंड में अब किसी भी सामान्य फ्लीट कंपनी को भाग लेने की अनुमति दी गई है, जबकि यह एक आपातकालीन पुलिस सेवा है।
ऐसे टेंडरों में केवल उन कंपनियों को भाग लेने की अनुमति मिलनी चाहिए जिनके पास पुलिस वाहन संचालन या पुलिस फ्लीट प्रबंधन का अनुभव हो।
इसके विपरीत, अन्य आपातकालीन सेवाओं जैसे डायल 108 और 102 के टेंडरों में केवल वही कंपनियाँ भाग ले सकती हैं जिनके पास एम्बुलेंस संचालन का अनुभव हो।
डायल 112 के आईटी कार्य के लिए टेंडर प्रक्रिया अपनाने के बजाय, नामांकन (Nomination) के आधार पर CDAC कंपनी को कार्य सौंप दिया गया, जिसका कुल मूल्य ₹117 करोड़ है।
वर्तमान में CDAC कंपनी डायल 112 के आईटी कार्य का संचालन कर रही है, लेकिन उनके द्वारा विकसित किए गए सॉफ़्टवेयर में गंभीर तकनीकी खामियाँ हैं — कॉल ठीक से कनेक्ट नहीं हो रही हैं, जिससे सेवा की गुणवत्ता पर सीधा प्रभाव पड़ रहा है।
यह अत्यंत चिंताजनक है कि विभाग ने इस समस्या का पूर्व में कोई परीक्षण या मूल्यांकन नहीं किया।
यदि यह कार्य तकनीकी योग्यता (Technical Evaluation) के आधार पर टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से दिया गया होता, तो योग्य और अनुभवी कंपनियाँ भाग ले सकती थीं और ऐसी तकनीकी परेशानियाँ उत्पन्न नहीं होतीं।
यह स्थिति स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि नामांकन के आधार पर कार्य आवंटन करने से पारदर्शिता और सेवा गुणवत्ता दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
इन सभी परिवर्तनों से यह पूरी तरह स्पष्ट होता है कि डायल 112 पुलिस सेवा के टेंडर प्रक्रिया में जानबूझकर हेरफेर किया जा रहा है, ताकि किसी विशेष कंपनी को अनुचित लाभ दिया जा सके।