शिक्षा विभाग में पदोन्नति का खेल: एक ही नाव में दो सवारी, नियमों की मनमानी
रायपुर. छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग में 1335 प्राचार्यों की पदोन्नति में नियमों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। प्राचार्य पदोन्नति फोरम ने इंद्रावती भवन में लोक शिक्षण संचालक ऋतुराज रघुवंशी से मिलकर नाराजगी जताई। फोरम का आरोप है कि 415 व्याख्याताओं को मध्य सत्र का हवाला देकर उसी स्कूल में पदोन्नत किया जा रहा है, जबकि बाकी 840 पदों के लिए ऐसा कोई नियम नहीं है।
फोरम ने इस "दोहरे मापदंड" पर सवाल उठाए हैं। उनके अनुसार, यह स्थिति संवैधानिक समानता के सिद्धांतों के खिलाफ है। सोशल मीडिया पर भी यह चर्चा है कि जब सहायक शिक्षक और मिडिल स्कूल के प्रधान पाठकों की काउंसलिंग में ऐसा नियम नहीं अपनाया गया, तो व्याख्याताओं के लिए क्यों?
यह भी आरोप है कि यह कदम कुछ चुनिंदा शिक्षकों को लाभ पहुँचाने के लिए उठाया गया है, क्योंकि उनमें से कई को मनचाहे स्कूलों में पदोन्नति मिल जाएगी। जबकि कई व्याख्याता खुद इस मेहरबानी को नहीं चाहते। विभाग का तर्क है कि मध्य सत्र को देखते हुए वरिष्ठता के आधार पर ऐसा किया जा रहा है।
पिछले साल इसी विभाग ने मध्य सत्र में शिक्षकों के तबादले और पदोन्नति आदेश मान्य किए थे, जिसके चलते अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या ये नियम जरूरत के हिसाब से बनाए जा रहे हैं।
प्राचार्य फोरम ने संचालक से मुलाकात के बाद कहा कि वे चाहते हैं कि पदोन्नति प्रक्रिया तय समय पर हो, क्योंकि बहुत से साथी रिटायरमेंट के करीब हैं। हालांकि, फोरम ने यह चिंता भी जताई है कि अगर यह मामला कोर्ट में जाता है, तो विभाग की यह "सेटिंग" संवैधानिक जांच में शायद खरी न उतरे। इस तरह की मनमानी से पूरी प्रक्रिया सवालों के घेरे में आ गई है।