बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के बिल्हा विकासखंड की ग्राम पंचायत कोरबी में बना एक छोटा सा चेक डैम अब बड़ी सफलता की कहानी बन गया है। मनरेगा योजना के तहत सिर्फ 5.27 लाख रुपये की लागत से बने इस डैम ने न सिर्फ गांव की तस्वीर बदल दी है बल्कि ग्रामीणों की तकदीर भी संवार दी है। अब गांव के खेत साल भर हरे भरे रहते हैं और किसानों को दो से तीन फसलें लेने का मौका मिल रहा है। यह डैम जल संरक्षण और सिंचाई का एक बेहतरीन उदाहरण बन गया है।
सूखे खेतों पर लौटी हरियाली
एक समय था जब कोरबी गांव में पानी की कमी एक बड़ी समस्या थी। नाले का पानी बिना उपयोग के बह जाता था, जिससे खेत सूखे रहते थे और सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता था। गांव में पीने के पानी का भी संकट था। ग्रामीणों ने अपनी इस समस्या को ग्राम पंचायत में उठाया और एक चेक डैम बनाने का प्रस्ताव रखा। पंचायत के इस प्रस्ताव को मनरेगा योजना के तहत मंजूरी मिली और काम शुरू हुआ।
सहयोग की मिसाल
इस प्रोजेक्ट में गांववालों, पंजीकृत श्रमिकों और पंचायत प्रतिनिधियों ने मिलकर काम किया। भले ही बीच में मौसम ने कुछ परेशानियां खड़ी कीं, लेकिन सभी के सहयोग से काम समय पर पूरा हो गया। ग्रामीणों ने बताया कि सरपंच और ग्रामीणों की सक्रिय भागीदारी ने इस परियोजना को सफल बना दिया।
बढ़ा जलस्तर, बढ़ी आमदनी
डैम बनने के बाद से गांव की स्थिति में बड़ा सुधार आया है। अब मानसून के बाद भी डैम में लंबे समय तक पानी जमा रहता है, जिससे खेतों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिल रहा है। इससे सिर्फ खेती ही नहीं, बल्कि भूजल स्तर भी बढ़ा है, जिससे गांव में पीने के पानी की समस्या भी खत्म हो गई है। किसानों को अब ज्यादा फसलें लेने का फायदा हो रहा है, जिससे उनकी आय में भी बढ़ोतरी हुई है। यह डैम सिर्फ एक ढांचा नहीं, बल्कि गांव के लिए समृद्धि का नया जरिया बन
गया है।