नई दिल्ली/रायपुर।विदेशों में बसे भारतीयों के सांस्कृतिक, धार्मिक और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए भारत सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है। यह बात विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने लोकसभा में रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल के सवाल के जवाब में कही। सांसद अग्रवाल ने प्रवासी भारतीयों की धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं को लेकर चिंता जताई थी और पूछा था कि सरकार उनकी सुरक्षा और सांस्कृतिक पहचान को सुरक्षित रखने के लिए क्या कदम उठा रही है।
डॉ. जयशंकर ने बताया कि वर्तमान में 3.43 करोड़ से अधिक भारतीय प्रवासी दुनिया के सभी सात महाद्वीपों और 207 देशों में बसे हुए हैं। इनमें प्रवासी भारतीय (एनआरआई) और भारतीय मूल के व्यक्ति (पीआईओ) दोनों शामिल हैं। सरकार इन सभी की सुरक्षा, अधिकारों की रक्षा और सांस्कृतिक जुड़ाव सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है।
अमेरिका, यूएई और सऊदी अरब में सबसे अधिक भारतीय
डॉ. जयशंकर ने आंकड़ों के हवाले से बताया कि तीन देश ऐसे हैं, जहां सबसे बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग रहते हैं। अमेरिका में कुल 56.93 लाख भारतीय रहते हैं, जिनमें 37.75 लाख PIO और 19.18 लाख NRI शामिल हैं। इसके अलावा संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में 38.97 लाख और सऊदी अरब में 27.47 लाख एनआरआई निवास करते हैं। सऊदी अरब में पीआईओ की संख्या शून्य है, जबकि यूएई में यह संख्या 6614 है।
एनआरआई और पीआईओ में अंतर
प्रवासी भारतीय (NRI) वे भारतीय नागरिक होते हैं, जो भारत के बाहर स्थायी रूप से निवास करते हैं, जबकि भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO) वे विदेशी नागरिक होते हैं जिनकी जड़ें भारतीय मूल से जुड़ी होती हैं। सरकार दोनों वर्गों के लिए अलग-अलग योजनाएं और अधिकार सुनिश्चित करती है।
विदेशों में 219 मिशन और केंद्र
सरकार की विदेश नीति में प्रवासी भारतीयों के हितों की रक्षा एक अहम मुद्दा है। वर्तमान में भारत के विदेशों में कुल 219 मिशन और केंद्र कार्यरत हैं, जो दुनिया भर के प्रमुख भारतीय समुदायों के बीच सक्रियता से कार्य कर रहे हैं। इन मिशनों का दायित्व न केवल वीजा और पासपोर्ट सेवाएं देना है, बल्कि प्रवासियों की मानवीय मदद, सांस्कृतिक पहचान बनाए रखना और स्थानीय प्रशासन के साथ समन्वय स्थापित करना भी है।
सांस्कृतिक जुड़ाव के लिए विशेष पहलें
विदेश मंत्री ने बताया कि भारत सरकार प्रवासी भारतीयों को उनकी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने के लिए कई प्रमुख कार्यक्रम चला रही है। इनमें प्रमुख है भारत को जानो कार्यक्रम (KIP), जिसके तहत 21 दिनों का भारत भ्रमण कराया जाता है ताकि युवा PIO भारत की संस्कृति, परंपरा और विकास यात्रा को नजदीक से देख सकें। PCDCT (Promotion of Cultural Diplomacy Through Community-based Activities) जैसी योजनाएं भी चल रही हैं, जिसके तहत भारतीय मिशन विदेशी धरती पर सांस्कृतिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करते हैं। इनके माध्यम से भारतीय त्योहार, भाषा, संगीत, नृत्य और परंपराएं जीवंत रखी जाती हैं।
संकट में सहायता और अधिकार
डॉ. जयशंकर ने कहा कि संकट के समय भारतीय मिशन प्रवासी नागरिकों की पूरी मदद करते हैं। चाहे वह पासपोर्ट गुम हो जाना हो, गिरफ्तारी हो, शोषण हो या किसी आपातकालीन स्थिति में सहायता — दूतावास तत्परता से कार्य करता है। प्रवासी भारतीयों (OCI) को बहु-प्रवेश, दीर्घकालीन वीजा सुविधा, पुलिस पंजीकरण से छूट और भारत में आर्थिक, शैक्षणिक व स्वास्थ्य क्षेत्र में समान अवसर भी उपलब्ध कराए जाते हैं। वे राष्ट्रीय उद्यानों, स्मारकों और हवाई टिकट में घरेलू दरों का लाभ भी ले सकते हैं।
अनुसंधान और रोजगार में भी अवसर
भारत सरकार ऐसे प्रवासी भारतीयों को भी बढ़ावा देती है, जो भारत में शिक्षा, चिकित्सा, कृषि, पर्यावरण आदि क्षेत्रों में काम करने के इच्छुक हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ऐसे क्षेत्रों में कार्य कर रहे प्रवासी विशेषज्ञों को शोध अनुदान भी देता है।
कामगारों के लिए विशेष योजनाएं
काम की तलाश में विदेश जाने वाले श्रमिकों के लिए सरकार ने प्रवासी भारतीय बीमा योजना (PBBY) और प्रस्थान पूर्व अभिविन्यास प्रशिक्षण (PDOT) जैसी योजनाएं लागू की हैं, जिनसे यह सुनिश्चित किया जा सके कि विदेशों में उन्हें सुरक्षित और न्यायसंगत कार्य वातावरण मिले। PDOT के माध्यम से उन्हें उनके अधिकारों और कर्तव्यों की जानकारी दी जाती है।
भारतीय संस्कृति का वैश्विक प्रचार
भारतीय संस्कृति को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) की भूमिका उल्लेखनीय है। ICCR के 38 देशों में सांस्कृतिक केंद्र हैं, जो भारतीय मूल के लोगों के बीच सांस्कृतिक एकता बनाए रखने और समुदाय की भावना को मजबूत करने का कार्य करते हैं। जहाँ ICCR केंद्र नहीं हैं, वहां भारतीय मिशनों के अधिकारी संस्कृति संवर्धन की जिम्मेदारी संभालते हैं।
इंडोनेशिया और दक्षिण अफ्रीका में विशेष सांस्कृतिक संपर्क
विदेश मंत्री ने विशेष रूप से इंडोनेशिया और दक्षिण अफ्रीका का उल्लेख करते हुए बताया कि इन दोनों देशों में भारत के दो-दो सांस्कृतिक केंद्र हैं। इंडोनेशिया के बाली द्वीप में हिंदू संस्कृति की गहरी जड़ें हैं, जो इस्लाम के आगमन से पूर्व से वहां की परंपराओं में रची-बसी हैं। वहीं दक्षिण अफ्रीका के क्वाज़ुलु-नताल क्षेत्र में 19वीं शताब्दी में आए भारतीय गिरमिटिया मजदूरों के साथ हिंदू धर्म की उपस्थिति स्थापित हुई थी, जो आज भी जीवंत है।
मजबूत और संवेदनशील विदेश नीति की मिसाल
लोकसभा में दिया गया यह उत्तर भारत सरकार की विदेश नीति की स्पष्ट दिशा को दर्शाता है, जिसमें सांस्कृतिक संरक्षण, मानवीय संवेदना और प्रवासी भारतीयों के साथ मजबूत रिश्ते बनाए रखना प्राथमिकता में है। सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने इस पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि भारत सरकार की यह प्रतिबद्धता हर प्रवासी भारतीय के लिए एक सुरक्षा कवच की तरह है। यह संवाद सरकार और भारतीय प्रवासी समुदाय के बीच संबंधों की गहराई को रेखांकित करता है- जो न केवल भावनात्मक, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और विकास की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।