लाखों का बजट डकार गई लापरवाही: गांधीग्राम की ‘बरगी नहर’ झाड़ियों में गुम, टेल के किसान संकट में
14 गाँवों की लाइफलाइन नहरों में मलबा-झाड़ियाँ, सिंचाई से पहले ही संकट गहराया
सिहोरा।
नर्मदा घाटी बरगी नहर व्यापवर्तन परियोजना की महत्वपूर्ण कड़ी—गांधीग्राम जल उपभोक्ता संस्था की कुंड-वितरिका पिपरिया नहर—इस समय भारी उपेक्षा का शिकार है। लाखों रुपये सालाना रखरखाव बजट के बावजूद नहरें घनी झाड़ियों, बड़े पेड़ों और जमे मलबे से पटी पड़ी हैं। किसानों का कहना है कि हालात साफ बताते हैं कि बजट का उपयोग कागजों पर हुआ है, जमीन पर नहीं।
गांधीग्राम संस्था से जुड़े 14 गाँवों (बम्होरी, धमकी, मिढ़ासन, पिपरिया, देवनगर, कैलवास, उमरिया, तपा, खुडावल, शहजपुरा, ताला, धनगवां, कुकरई और चन्नौटा) के किसान चिंतित हैं कि गंदगी व अवरोधों के कारण टेल क्षेत्र तक पानी नहीं पहुंचेगा। कई जगह संपर्क नहरों में बड़े-बड़े पेड़ उग आए हैं, जो पानी के प्राकृतिक बहाव को रोक देंगे और सीपेज बढ़ने से लाखों गैलन पानी व्यर्थ हो जाएगा।
किसानों ने आरोप लगाया कि हजारों रुपये वेतन लेने वाले अधिकारी फील्ड पर निगरानी तक नहीं करते। मानसून से पहले सफाई का पर्याप्त समय होते हुए भी विभाग ने गंभीर लापरवाही बरती, जिससे अब समय पर सफाई होना मुश्किल है।
किसानों ने जिला प्रशासन से तत्काल निरीक्षण, नहरों की युद्धस्तरीय सफाई और जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। चेतावनी दी है कि पानी की कमी से होने वाले नुकसान के लिए नहर विभाग पूरी तरह जिम्मेदार होगा।