बिलासपुर। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के 25 वर्ष बाद भी राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग (MSME) सेक्टर की हालत चिंताजनक बनी हुई है। देश की जीडीपी में 29% और रोजगार में 60% का योगदान देने वाला यह सेक्टर बिलासपुर सहित पूरे छत्तीसगढ़ में उपेक्षा का शिकार है। छत्तीसगढ़ लघु एवं सहायक उद्योग संघ के प्रदेश अध्यक्ष हरीश केडिया ने बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि राज्य में लगभग एक हजार लघु उद्योग या तो बंद पड़े हैं या 'बीमार' हो चुके हैं।
औद्योगिक माफियाओ का कब्जा बनी सबसे बड़ी चुनौती
लघु उद्योग संघ ने सबसे गंभीर मुद्दा औद्योगिक माफियाओं' के कब्जे का बताया है।
एक अध्ययन के अनुसार, बंद या बीमार पड़ी करीब 1000 इकाइयों की जमीन पर औद्योगिक माफियाओं का कब्जा हो चुका है। सैकड़ों उद्योग भूखंडों का उपयोग वेयरहाउस (गोदाम) या अन्य व्यवसायिक कार्यों के लिए किया जा रहा है।छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम (CSIDC) द्वारा आवंटन रद्द करने के नोटिस तो दिए जाते हैं, लेकिन हकीकत में आवंटन रद्द नहीं होता।
नए उद्योगों का रास्ता बंद
इस भ्रष्टाचार का सीधा असर यह है कि औद्योगिक क्षेत्रों में नए लघु उद्योगों के लिए जमीन ही नहीं बची है। नतीजतन, बिलासपुर जैसे शहरों में नई प्रतिभाएं उद्योग स्थापित नहीं कर पा रही हैं।
प्रतिभाएं हैं, मंच नहीं ,सिर्किटगी का हाल बेहाल
लघु उद्योग संघ का कहना है कि राज्य में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, लेकिन उन्हें पर्याप्त प्रोत्साहन और बेहतर मंच नहीं मिल रहा।
हमारे छोटे उद्यमियों के पास बेहतरीन आइडिया और क्षमता है। लेकिन जब उन्हें प्रोत्साहन नहीं मिलता और उनकी जमीन पर माफिया कब्जा कर लेते हैं, तो उनका हौसला टूट जाता है। यह सिर्फ व्यापार का नुकसान नहीं है, बल्कि हजारों परिवारों की उम्मीदों का दम घुट रहा है।
प्रोत्साहन के अभाव में बिलासपुर के सिरगिट्टी क्षेत्र की कई औद्योगिक इकाइयां सफल नहीं हो पाईं और अंततः बंद हो गईं।
निर्यात और एक जिला-एक उत्पाद में शून्य पहल
हरीश केडिया ने निर्यात और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर भी सवाल उठाए
उन्होंने कहा लघु उद्योगों की सीधी निर्यात क्षमता सीमित होती है। उन्होंने सुझाव दिया कि जापान और दक्षिण कोरिया की तर्ज पर विशेषज्ञ ट्रेडिंग कंपनियों की स्थापना की जाए। ये कंपनियां एमएसएमई के उत्पादों को वैश्विक बाजार में बेचने में सक्षम होंगी।
केंद्र की अच्छी योजना एक जिला एक उत्पाद पर छत्तीसगढ़ में स्थिति शून्य है, जबकि उत्तर प्रदेश जैसे राज्य इस योजना पर तेजी से काम कर रहे हैं। बिलासपुर में प्लास्टिक फुटवियर जैसे उद्योगों के विकास को उदाहरण के रूप में पेश करते हुए उन्होंने कहा कि एक ही तरह के उद्योगों को एक जगह बढ़ावा देने से
बाजार का माहौल बनता है।