Raipur.�रायपुर।�भारत ने कारगिल की चोटियों पर तिरंगा फहराया था। इस युद्ध में जहां भारत के जवान वीरगति को प्राप्त हुए, वहीं कई गुमनाम हीरो ऐसे भी थे जिन्होंने परदे के पीछे रहकर हज़ारों जिंदगियों को बचाया। ऐसे ही एक वीर योद्धा हैं रायपुर के ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) डॉ प्रणब कुमार लहरी, जिनकी बहादुरी और सेवा को देश कभी नहीं भूल सकता। आज मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर कलेक्टर डॉ. गौरव सिंह ने रायपुर स्थित उनके निवास पर पहुंचकर उन्हें शाल व पुष्पगुच्छ भेंट कर सम्मानित किया एवं उनका
हालचाल जाना। उन्होंने ब्रिगेडियर डॉ लहरी से कहा कि प्रशासन आपके साथ है। इस मौके पर जिला मेडिकल टीम ने भी उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया। कारगिल युद्ध के दौरान ब्रिगेडियर लहरी ऑर्थोपेडिक सर्जन के रूप में श्रीनगर के 92 मिलिट्री हॉस्पिटल में तैनात थे। बंदूकें गरज रही थीं, हर ओर चीख-पुकार थी।
लेकिन डॉ. लहरी ने हार नहीं मानी। दिन-रात ऑपरेशन थिएटर और बॉर्डर पर ड्यूटी करते हुए उन्होंने 1000 से ज्यादा घायल जवानों की सर्जरी की। उनके हाथों ने न केवल हड्डियाँ जोड़ीं, बल्कि सैकड़ों परिवारों की उम्मीदों को भी जोड़ कर रखा। आज ब्रिगेडियर डॉ लहरी पार्किंसंस जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं और
व्हीलचेयर पर हैं। उम्र और बीमारी ने उनके शरीर को भले ही कमजोर कर दिया हो, पर उनकी देशभक्ति आज भी उतनी ही मजबूत है। ब्रिगेडियर लहरी, छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद सेना मेडल पाने वाले पहले कारगिल योद्धा हैं। श्रीनगर के जिस अस्पताल में उन्होंने सर्जरी की, वहां आज भी उन पाकिस्तानी गोलियों को सहेजकर रखा गया है, जो भारतीय जवानों के शरीर से निकाली गई थीं। नमन है ऐसे सच्चे नायकों को, जो खामोशी से देश की रक्षा कर गए। इस अवसर पर जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कैप्टन अनिल कुमार शर्मा उपस्थित रहे।