स्थानीय नागरिकों का कहना है कि नगर में महीनों से नालियां जाम हैं और गलियों में गंदगी पसरी हुई है और नलों से गंदा पानी आ रहा है।। नगर पालिका को बार-बार शिकायतें की गई लेकिन कार्रवाई के नाम पर केवल आश्वासन ही मिला।। नागरिकों ने आरोप लगाया कि नगर पालिका की इस लापरवाही का नतीजा आज महामारी के रूप में सामने आया है।
बीते दिनों खैरागढ़ की विधायक यशोदा नीलाम्बर वर्मा ने सिविल अस्पताल पहुंचकर मरीजों से मुलाकात की थी और उन्होंने सार्वजनिक रूप से लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) विभाग को लापरवाही का जिम्मेदार ठहराया था और कलेक्टर से शिकायत कर जिम्मेदार अधिकारी के ऊपर कार्यवाही की बात कही थी।
इधर सिविल अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर डॉ.पंकज वैष्णव ने कहा कि डायरिया का मुख्य कारण दूषित पेयजल ही है।। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे फिलहाल केवल उबला हुआ पानी पिएं और हल्का तथा घर का बना भोजन ही करें।
विधायक प्रतिनिधि व नगर पालिका के पूर्व पार्षद व नेता प्रतिपक्ष मनराखन देवांगन ने नगर पालिका प्रशासन को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि अगर समय रहते पानी टंकी, पाइपलाइन और नालियों की सफाई की जाती तो आज दो बेकसूर लोगों की मौत नहीं होती।।यह नगर पालिका की सीधी-सीधी लापरवाही ही है। त्योहारों का मौसम है,हालात नहीं सुधरे तो बीमारी और फैलेगी इसलिए नगर पालिका प्रशासन को अपनी लापरवाही सुधारने और मुस्तैद रहने की जरूरत है।
वहीं नगर पालिका अध्यक्ष गिरजा नंद चंद्राकर ने सफाई व्यवस्था पर उठ रहे सवालों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि तत्काल सफाई अभियान शुरू करने और मुनादी कराने के निर्देश दिए जा चुके हैं।। मौसम और हालात विपरीत है, लेकिन नगर पालिका प्रशासन अपना काम जिम्मेदारी से कर रहा है।
नगरवासियों का कहना है कि अब तक की कार्रवाई केवल कागजों पर सिमटी हुई ही रही है। जिला तो बन गया लेकिन जिला बनने का फायदा कुछ नहीं मिल रहा। सवाल यह है कि क्या प्रशासन बाकी इलाकों में भी डायरिया फैलने से पहले ठोस कदम उठाएगा या फिर हालात और बिगड़ने का इंतजार करेगा?