कोरबा। जिले के दीपका थाना क्षेत्र से एक बेहद संवेदनशील मामला सामने आया है, जिसमें एक विवाहिता की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। मृतका के मायके पक्ष का आरोप है कि ससुराल वालों की प्रताड़ना से तंग आकर महिला ने जहर खाया था। खास बात यह है कि जहर खाने के बाद भी उसे समय पर अस्पताल नहीं ले जाया गया, बल्कि झोलाछाप डॉक्टर से इलाज करवाया गया। इलाज में लापरवाही और घरेलू प्रताड़ना ने आखिरकार एक शिक्षित महिला की जान ले ली।
शादी के कुछ सालों बाद शुरू हुई प्रताड़ना
मृतका की पहचान वंदना आर्मो (उम्र लगभग 30 वर्ष) के रूप में हुई है। वंदना की शादी वर्ष 2016 में कोरबा जिले के ग्राम लारीपारा निवासी लक्ष्मीनारायण से हुई थी। वंदना मूल रूप से ग्राम झाबर की रहने वाली थी। शादी के कुछ समय तक सब कुछ सामान्य रहा, लेकिन कुछ वर्षों बाद ससुराल पक्ष की ओर से वंदना को घरेलू कामों को लेकर लगातार प्रताड़ित किया जाने लगा। वंदना के दो छोटे बच्चे भी हैं। उसका पति लक्ष्मीनारायण बाजारों में जाकर अस्थायी तौर पर कपड़े की दुकान लगाकर परिवार का भरण-पोषण करता था। घर के आर्थिक हालात बेहद सामान्य थे, लेकिन मायके वालों का आरोप है कि इसके बावजूद वंदना को ससुराल में कभी इज्जत और सम्मान नहीं मिला।
2021 में मायके लौट गई थी, फिर समाज के दबाव में गई ससुराल
मृतका के भाई दिलभरत आर्मो ने बताया कि बहन वंदना एमए तक पढ़ी-लिखी थी और आत्मनिर्भर बनने की चाह रखती थी। मगर शादी के बाद ससुराल में उसे कभी आजादी या समझदारी से जीने का मौका नहीं मिला। प्रताड़ना से परेशान होकर वह वर्ष 2021 में मायके लौट आई थी। इसके बाद गांव में सामाजिक बैठक बुलाई गई और समाज के बड़ों की मौजूदगी में सुलह समझौता हुआ। इस समझौते के बाद वह एक बार फिर अपने पति के साथ ससुराल लौट गई, लेकिन ससुराल वालों का रवैया फिर भी नहीं बदला।
1 अगस्त को खाया जहर, छिपाई गई जानकारी
परिजनों के अनुसार, 1 अगस्त 2025 को वंदना ने ससुराल में जहर खा लिया। ससुराल वालों को जब इसकी जानकारी हुई, तो उन्होंने पुलिस कार्रवाई से बचने के लिए उसे अस्पताल नहीं ले जाकर एक झोलाछाप डॉक्टर से इलाज कराया। तीन दिन तक वह बिस्तर पर पड़ी रही, उल्टी-दस्त से बेहाल थी, मगर उसके इलाज में लापरवाही बरती जाती रही। गांव में रहने वाली एक रिश्तेदार ने वंदना की खराब हालत की जानकारी 4 अगस्त को वंदना की मां को दी। जब मां अपनी बेटी से मिलने ससुराल पहुंची, तो वंदना की हालत बेहद गंभीर थी। मां को देखकर वंदना ने खुद बताया कि उसने प्रताड़ना से परेशान होकर जहर खाया है। इसके बाद परिजनों ने आनन-फानन में उसे कोरबा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
ससुरालियों पर गंभीर आरोप
मृतका के भाई दिलभरत आर्मो ने आरोप लगाया कि वंदना को सिर्फ उसका पति ही नहीं, बल्कि सास, ससुर और ननद भी लगातार मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करते थे। वे उसे घर के कामों को लेकर ताने मारते थे, गाली-गलौज करते थे और किसी भी बात पर मारपीट तक करते थे। वंदना की मौत ने पूरे परिवार को झकझोर दिया है। भाई का कहना है कि अगर समय पर वंदना को अस्पताल ले जाया गया होता, तो उसकी जान बच सकती थी। दिलभरत ने कहा कि बहन ने दो दिनों तक जहर खाने के बाद लगातार उल्टी-दस्त की शिकायत की थी, लेकिन उसके ससुराल वाले इसे सामान्य बीमारी मानकर गंभीरता से नहीं ले रहे थे। इलाज में देरी और झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही ने उसकी हालत को और बिगाड़ दिया।
पति ने आरोपों को बताया बेबुनियाद
वहीं, मृतका के पति लक्ष्मीनारायण ने सभी आरोपों को गलत बताया है। उसने कहा कि उसे इस बात की जानकारी ही नहीं थी कि उसकी पत्नी ने जहर खाया है। उसे उल्टी-दस्त हो रही थी, इसलिए गांव में ही एक डॉक्टर से उसका इलाज करवाया गया। उसने यह भी कहा कि घर में कोई प्रताड़ना नहीं दी जाती थी, सब कुछ सामान्य था। लेकिन मायके वालों का कहना है कि लक्ष्मीनारायण अपने किए को छिपा रहा है।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और जांच की प्रतीक्षा
5 अगस्त की शाम को महिला का पोस्टमॉर्टम कर शव को परिजनों को सौंप दिया गया। पुलिस ने प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है और वंदना की मौत के कारणों की पुष्टि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही होगी। लेकिन जिस तरह से मायके पक्ष ने आरोप लगाए हैं, उससे मामला आत्महत्या के लिए उकसाने और घरेलू हिंसा से जुड़ा प्रतीत हो रहा है। दीपका थाना पुलिस ने बताया कि परिजनों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं और मामले की हर पहलु से जांच की जा रही है। आवश्यकता पड़ने पर ससुराल पक्ष के लोगों से पूछताछ की जाएगी और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।