सिहोरा जिला आंदोलन: भाजपा की साख पर सवाल, वादों की याद दिला रहे सिहोरा वासी
सिहोरा
सिहोरा जिला आंदोलन एक बार फिर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा रहा है। 9 दिसंबर से शुरू होने वाले सत्याग्रह को लेकर क्षेत्र के लोगों में नाराजगी स्पष्ट दिख रही है। सिहोरा वासियों का कहना है कि “जिला बनाने का वादा भाजपा ने चुनाव से पहले किया था, इसलिए इसे पूरा करना भी भाजपा की ही जिम्मेदारी है।”
स्थानीय लोगों का आरोप है कि भाजपा नेताओं स्मृति ईरानी, प्रहलाद पटेल, संतोष बरकड़े और तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुनावी मंचों से सिहोरा जिला बनाने का आश्वासन दिया था। अब, जब जनता अपने अधिकार की मांग कर रही है, तो नेता एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते नज़र आ रहे हैं।
लोगों का कहना है कि वादा सरकार ने किया था, इसलिए अब पूरा न होना सीधे-सीधे भाजपा की साख पर चोट है। जनता का यह भी कहना है कि “जब केंद्र से लेकर राज्य तक भाजपा की सरकार है, फिर भी सिहोरा की अनदेखी क्यों?”
वर्तमान मुख्यमंत्री मोहन यादव पर भी लोगों ने नाराजगी जताई है। आंदोलनकारियों का आरोप है कि वे सिहोरा जिला की मांग को गंभीरता से नहीं ले रहे। परिणामस्वरूप क्षेत्र में भाजपा के प्रति असंतोष बढ़ता दिख रहा है।वही सिहोरा क्षेत्र के समस्त राजनैतिक,सामाजिक,व्यवसायिक संगठनों द्वारा लगातार समर्थन की घोषणाएं भी आंदोलन को जनांदोलन के रंग में सराबोर कर रही है।
सत्याग्रह के आयोजकों ने कहा है कि यह आंदोलन किसी दल के खिलाफ नहीं है, बल्कि वादे निभाने की मांग है। उनका कहना है कि यदि भाजपा ने भरोसा दिया था, तो उसे निभाने से पीछे नहीं हटना चाहिए।
जैसे-जैसे 3 दिसंबर से क्रमिक भूख हड़ताल और 9 दिसंबर आमरण सत्याग्रह की तिथि नजदीक आ रही है, सिहोरा में माहौल गरमाता जा रहा है और सवाल एक ही उठ रहा है
“भाजपा ने वादा किया है, तो भाजपा पूरा करे।”
आंदोलन का प्रभाव कितना व्यापक होगा और सरकार की ओर से क्या प्रतिक्रिया आएगी, अब यह आने वाले दिनों में तय करेगा कि सिहोरा जिला बनने की राह कितनी लंबी या छोटी होगी।