64 सौ उडद, 63 सौ प्रति क्विंटल मूंग मंडी में बेचने को मजबूर अन्नदाता


किसान परेशान : पंजीयन भी प्रारंभ नहीं हुए, केंद्र भी नहीं बने, किसान संगठन नाराज


सिहोरा


सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर मूंग और उड़द की सरकारी खरीदी किए जाने की घोषणा के बाद ग्रीष्मकालीन फसल के न तो पंजीयन शुरू हुए और न ही अभी तक केंद्र बनाए गए। ऐसे में मजबूरी में किसान कृषि उपज मंडी सिहोरा में कम दामों में मूंग और उड़द बेचने के लिए मजबूर है। सरकार की इस लापरवाही को लेकर किसान संगठनों में भारी आक्रोश है।


300 से 400 क्विंटल मंडी में रोजाना आवक


जानकारी के मुताबिक कृषि उपज मंडी सिहोरा में प्रतिदिन 300 से 400 क्विंटल मुंह और उड़द बचने के लिए किसान आ रहे हैं। किसानों का कहना है कि अभी तक सरकार ने समर्थन मूल्य पर मूंग और उड़द की सरकारी खरीदी शुरू नहीं की है। ऐसे में उन्हें धान की फसल की तैयारी के लिए रूपपों की आवश्यकता है मजबूरी में वह अपनी उपज कम दामों में मंडी में बेचने के लिए मजबूर हैं।


6400 उडद, 5800 मूंग बिक रही मंडी में


कृषि उपज मंडी सिहोरा में 6400 प्रति क्विंटल उड़द और 5800 प्रति क्विंटल मूंग किसान बेचने के लिए मजबूर हैं। खलरी गांव से आए किसान अशोक पटेल, रमेश यादव, पवन यादव ने बताया कि सरकार ने इस वर्ष समर्थन मूल्य पर मूंग 8768 रुपए और उड़द 7800 प्रति क्विंटल खरीदने की घोषणा की, लेकिन अभी तक दोनों के ना तो पंजीयन प्रारंभ हुए हैं और ना ही केंद्र बनाए गए हैं। ऐसे में उड़द और मूंग की गहाई के बाद उपज को कहां रखें मजबूरी में वह अपनी उपज कम दाम पर व्यापारियों को मंडी में देने के लिए मजबूर हैं।



ढाई से 3000 प्रति क्विंटल कम मिल रहा दाम


यदि सरकार के समर्थन मूल्य पर मूंग और उड़द की खरीदी की बात की जाए तो किसानों को मंडी में ढाई से 3000 प्रति क्विंटल कम दामों पर मूंग और उड़द व्यापारियों को बेचनी पड़ रही है। जो किसानों के लिए एक घाटे का सौदा है।


किसान संगठन नाराज आंदोलन की तैयारी


समर्थन मूल्य पर मुंह और औरत की सरकारी खरीदी शुरू नहीं होने से किस संगठन भारी आक्रोश में हैं। उनका कहना है कि सरकार जल्द से जल्द के पंजीयन प्रारंभ कर खरीदी शुरू करें नहीं तो समस्त किसान संगठन आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।


इनका कहना


सरकार की मंशा मूंग और उड़द की सरकारी खरीदी करने की नहीं है। समर्थन मूल्य पर दोनों उपज खरीदी की घोषणा तो कर दी गई लेकिन ना तो अभी तक मुंह और उड़द के पंजीयन प्रारंभ हुए हैं ना ही केंद्र बनाए गए हैं ऐसे में मजबूरी में किस को कम दामों में मंडी में व्यापारियों को अपनी उपज बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।


रमेश पटेल जिला अध्यक्ष भारतीय किसान यूनियन (टिकैत)

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