बिलासपुर, जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के चावल में बड़ा घोटाला सामने आया है है, जिसमें खाद्य विभाग के अधिकारियों की लापरवाही और मिलीभगत सवालों के घेरे में आ गई है। बिलासपुर कलेक्टर के निर्देश पर चाटीडीह स्थित जगदीश ट्रेडिंग कंपनी की जांच के दौरान विभाग की घोर अनदेखी का मामला प्रकाश में आया है।
सूत्रों के अनुसार, खाद्य अधिकारी की अनदेखी का फायदा उठाकर कंपनी लंबे समय से PDS के चावल को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रही थी। जाँच में 163.49 क्विंटल अतिरिक्त चावल पाया गया, जिसे सामान्य चावल बताकर व्यापार किया जा रहा था। चौंकाने वाली बात यह है कि यह सब सिल्की शॉर्टेक्स मशीन के जरिए हो रहा था, जिसका इस्तेमाल सार्वजनिक चावल को साफ करने के लिए किया जा रहा था।
सवाल उठता है कि इतनी बड़ी अनियमितता विभाग की नजरों से कैसे छुपी रही? क्या खाद्य निरीक्षक और अन्य अधिकारी इस मामले से अनजान रहे या फिर जानबूझकर आँखें मूंदे रहे? विभागीय सूत्र बताते हैं कि युवा खाद्य अधिकारी की लापरवाही इस पूरे मामले का केंद्र है, जो कि विभाग के अधिकारियों के बीच आपसी मतभेद और खींचतान का परिणाम है।
जाँच दल की तत्परता के बाद फर्म के प्रोपराइटर रवि कुमार नागदेव के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7 के तहत मामला दर्ज किया गया है, लेकिन जिला खाद्य अधिकारी की भूमिका पर सवाल खड़े हो गए हैं। आखिर इतनी बड़ी गड़बड़ी होने के बावजूद क्यों जिम्मेदार अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की?
इसके बावजूद अब यह संशय बना हुआ है की शहर में ऐसे कितने फॉर्म है जहां पर खाद्य अधिकारियों के संरक्षण में यह काला कारनामा किया जा रहा है क्या विभाग एक-एक कर सब पर कार्यवाही करेगा या अपना बंधा हुआ लेता रहेगा।
लोगों में शिकायत कि अब चावल में नहीं आता टेस्ट
जनता की सुने तो उनका कहना है कि पहले की तरह अब दुबराज एचएमटी जैसे चावलों में वह टेस्ट नहीं आता हो ना हो जनता इन कमिशनखोर अधिकारियों और कालाबाजारी करने वाले व्यापारियों के कारनामों का शिकार हो गई है।
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