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निजी स्कूलों की मनमानी से पालक परेशान, सरकार के नियमों की अनदेखी पर प्रशासन मौन

01 Jul 2025 | प्रशांत बाजपेई | 352 views
निजी स्कूलों की मनमानी से पालक परेशान,  सरकार के नियमों की अनदेखी पर प्रशासन मौन

निजी स्कूलों की मनमानी से पालक परेशान,

सरकार के नियमों की अनदेखी पर प्रशासन मौन


सिहोरा


पालक अच्छी और उच्च शिक्षा के लिए बेहतर स्कूलों का चयन करता है और बच्चों को कुछ बनाने का सपना देखता है। लेकिन पालक और बालक के सपनों पर निजी स्वार्थ के कारण निजी स्कूल संचालक पानी फेर रहे हैं और मनमानी पर उतारू हो गए है। मामला सिहोरा क्षेत्र के निजी विद्यालयों का है जहां अनेक स्कूल संचालकों ने दसवीं पास करने वाले विद्यार्थियों के लिए उनके पसंद का विषय समूह देने से मना कर दिया है ।यहां स्कूल संचालक ने अपनी एक अलग गाइडलाइन तय की है जिसमें उन्होंने प्रत्येक विषय समूह के लिए दसवीं कक्षा के कुल प्राप्तांक प्रतिशत को आधार बना दिया है। स्थिति यह है कि जो छात्र गणित समूह से आगे पढ़ना चाहते हैं उन्हें आर्ट या कॉमर्स लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है और आर्ट लेकर पढ़ना चाहते हैं उन्हें गणित लेकर पढ़ने हेतु मजबूर किया जा रहा है। ऐसी स्थिति में पालक स्वयं को असहाय सा महसूस कर रहा है कि वह अब दसवीं के बाद बच्चों का एडमिशन कहां कराए।सिहोरा में ऐसे एक दर्जन से अधिक निजी स्कूल है।

    एक पीड़ित पिता कमलेश चक्रवर्ती ने बताया कि उनका बेटा शहर के एक नामी प्राइवेट स्कूल में पढ़ता है।शुरू से वह इंजीनियर बनना चाहता है।लगातार बारह वर्ष स्कूल में पढ़ने के बाद आज जब वह ग्यारहवीं में गणित विषय लेकर पढ़ना चाहता है तो स्कूल संचालक दुहाई देते है कि अस्सी प्रतिशत से ऊपर आने पर ही गणित विषय मिलेगा।छात्र और परिवार की विनती का भी कोई असर स्कूल संचालक पर नही हो रहा है। ऐसा ही दूसरा मामला शहर के एक निजी स्कूल का और सामने आया है जहां एडमिशन लेने जाने वाली छात्रों को एडमिशन देने से ही मना किया जा रहा है। अनुज साहू ने बताया कि उन्होंने शहर की एक निजी विद्यालय के पास लाखों रुपए की जमीन खरीदी उस पर लाखों रुपए खर्च करके मकान बनवाया पर जब वह अपने पुत्र के एडमिशन के लिए विद्यालय में गए तो स्कूल संचालक ने एडमिशन देने से यह कहते हुए मना कर दिया कि हम कोई नया एडमिशन नही लेंगे।ऐसी स्थिति में अनुज बड़े परेशान है कि उन्होंने अपना गांव छोड़ शहर आए, मकान बनाया और जिन बच्चों की पढ़ाई के लिए वह ऐसा किया अब वह हो ही नहीं पा रहा है।

एक और जहां कलेक्टर जबलपुर निजी स्कूलों पर लगाम लगाए जाने के बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं वहीं सिहोरा के निजी विद्यालय एक दूसरे तरीके से पालकों और बालकों को परेशान करने पर उतारू है। पालकों ने एस डी एम सिहोरा और बीईओ सिहोरा से हस्तक्षेप करने की मांग की है।

प्रशांत बाजपेई
प्रशांत बाजपेई

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