

ईर्ष्या से मुक्त होने पर ईश्वर की कृपा प्राप्त होगी : पंडित इंद्रमणि त्रिपाठी

सिहोरा
श्रीमद्भागवत पुराण ज्ञान यज्ञ सप्ताह बाबा लाल सिहोरा शिव मंदिर में चल रही है।इस अवसर पर कथावाचक पंडित इंद्रमणि त्रिपाठी ने तीसरे दिन ध्रुव चरित्र और वामन अवतार की कथा का वर्णन किया। जिसमें ध्रुव चरित्र का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भक्ति करने के लिए उम्र का कोई बंधन नहीं है।भक्ति किसी भी उम्र में की जा सकती है। भगवान के परम भक्त ध्रुव ने मात्र पांच वर्ष की आयु में ईश्वर से साक्षात्कार कर लिया था।
वामन अवतार कथा के दौरान कथा व्यास ने श्री त्रिपाठी ने बताया कि वामन अवतार के रूप में भगवान विष्णु ने राजा बलि को यह शिक्षा दी कि दंभ और अंहकार से जीवन में कुछ भी हासिल नहीं होता। इसलिए जीवन में परोपकार करो। उन्होंने कहा कि अहंकार, घृणा और ईर्ष्या से मुक्त होने पर ही मनुष्य को ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है। यदि हम संसार में पूरी तरह मोह ग्रस्त और लिप्त रहते हुए सांसारिक जीवन जीते हैं, तो हमारी सारी भक्ति एक दिखावा ही रह जाएगी।
वामन अवतार प्रसंग पर श्री त्रिपाठी ने कहा राजा बलि ने 100 यज्ञ पूर्ण करने पर स्वर्ग छीनने का प्रय| किया तो इन्द्रादि देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार ब्राह्मण वेष में राजा बलि से भिक्षा मांगी। गुरु के मना करने पर भी राजा बलि ने तीन पग भूमि दान कर दी। भगवान ने तीन पग से पूरी पृथ्वी को नाप लिया। भूमि कम पड़ गई राजा बलि ने अपना सिर आगे बढ़ा दिया। वामन अवतार ने दानवीर राजा बलि से प्रसन्न होकर आशीर्वाद दिया और अहंकार तोड़कर आशीर्वाद के साथ पाताल भेज दिया। इस अवसर पर श्रोता के रूप में बड़ी संख्या में भक्तगण उपस्थित रहे।

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