भारी वाहनों के कारण ” जाम” से परेशान “आमजन”
खितौला मोड़ से मझौली बायपास का मामला : बे-रोक-टोक गुजर रहे ओवरलोड भारी वाहन, दो थानों की पुलिस कहीं नहीं आती नजर
सिहोरा
शहर के घनी बस्ती के क्षेत्र खितौला मोड़ से मझौली बाईपास तक भारी वाहनों के कारण किसी भी समय जाम लग जाता है। जाम लगने से आमजन कराह उठता है। जाम की यह स्थिति सिहोरा में लंबे समय से बनी है। करीब दो किलोमीटर के एरिया में ओवरलोड भारी वहां बे-रोक-टोक गुजरते हैं, जो जाम का सबसे बड़ा कारण हैं। सिहोरा और खितौला थाने की पुलिस ओवरलोड भारी वाहनों पर न तो कोई कार्रवाई करती और न ही जाम लगने पर कहीं नजर आती।
बाईपास औचित्य विहीन, 4 माह में नहीं लग पाई नो एंट्री
घनी बस्ती के क्षेत्र से भारी वाहनों की आवाजाही और ट्रैफिक कम करने के लिए वन विभाग के नाका के पास से बाईपास बनाया गया था, लेकिन सात साल से अधिक का समय बीत गया। भारी वाहनों के गुजरने का क्रम अभी भी शहर के बीचो-बीच से जारी है। प्रशासन और पुलिस इस समस्या का हल नहीं ढूंढ पाया। 4 माह से अधिक का समय गुजर गया, लेकिन प्रशासन और पुलिस शहर के बीचो-बीच भारी वाहनों की आवाजाही बंद करने के लिए नो एंट्री नहीं लगा पाया।
रोड चौड़ीकरण, डिवाइडर का काम बना सिर दर्द
ओवरलोड भारी वाहनों के धड़ल्ले से गुजरने के अलावा जाम लगने का सबसे बड़ा कारण मझौली बाईपास से खितौला तिराहे तक सड़क चौड़ीकरण और डिवाइडर का आधा अधूरा काम है। जगह-जगह खुदने से सड़क बद से बत्तर हो गई। जिसके कारण वाहन रेंगते नजर आते हैं।
इनका कहना
नो एंट्री को लेकर नगर पालिका पुलिस के साथ बैठक कर जल्द से जल्द समस्या का निदान किया जाएगा। वैसे भी नवरात्र पर्व शुरू हो रहा है ऐसे में भारी वाहनों के आवागमन पर रोक लगाना सबसे ज्यादा जरूरी है।
धीरेंद्र सिंह, एसडीएम सिहोरा
मझौली बाईपास से लेकर खितौला तिराहे तक भारी वाहनों की आवाज आई पर बैन लगाने के लिए नो एंट्री के लिए अभिमत प्रशासन को भेजा गया है। प्रशासन की तरफ से स्वीकृति मिलने के बाद ही नो एंट्री लगाई जा सकती है।
पारुल शर्मा, एसडीओपी सिहोरा
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