Makar Sankranti Kab Hai: मकर संक्रांति को लेकर पंडित श्री श्री 108 शंकरपुरी महराज ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन सूर्य देव प्रातः 09 बजकर 24 मिनट पर धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे
जय शंकर पाण्डेय/ बिलासपुर
देश में मकर संक्रांति का पर्व बड़े ही धूम धाम के साथ मनाया जाता है. इस बार मकर संक्रातिं का पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार, 15 जनवरी को मनाया जाएगा. आपको बता दें कि मकर संक्रांति के मौके पर सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तो ज्योतिष में इस घटना को मकर संक्रांति कहते हैं. तो आइए जानते हैं कि इस बार मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त क्या है और इसका क्या महत्व है.
मकर संक्रांति को लेकर श्री श्री 108 शंकर पूरी महराज ( अर्धनारीश्वर दलहा पोड़ी अकलतरा) ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन सूर्य देव प्रातः 09 बजकर 24 मिनट पर धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे. इस अवसर पर शुभ मुहूर्त रहेगा. सूर्य जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तो ज्योतिष में इस घटना को संक्रांति कहते हैं. मकर संक्रांति के अवसर पर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होता है. एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति के बीच का समय ही सौर मास कहलाता है. पौष मास में सूर्य उत्तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इस अवसर को देश के अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग त्योहार के रूप में मनाते हैं.
मकर संक्रांति के दिन खुलता है स्वर्ग का दरवाजा
इस दिन से धरती पर अच्छे दिनों की शुरुआत मानी जाती है. इसकी वजह से सूर्य इस दिन से दक्षिण से उत्तरी गोलार्ध में गमन करने लगते हैं. इससे देवताओं के दिन का आरंभ होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन स्वर्ग का दरवाजा खुल जाता है, इसलिए इस दिन किया गया दान पुण्य अन्य दिनों में किए गए दान पुण्य से अधिक फलदायी होता है.
शनि की दशा में कष्ट नहीं भोगना पड़ेगा
श्री शंकर पूरी महाराज ने बताया कि पिता सूर्यदेव को कुष्ठ रोग से पीड़ित देखकर यमराज काफी दुखी हुए. यमराज ने सूर्यदेव को कुष्ठ रोग से मुक्त करवाने के लिए तपस्या की, लेकिन सूर्य ने क्रोधित होकर शनि महाराज के घर कुंभ जिसे शनि की राशि कहा जाता है उसे जला दिया. इससे शनि और उनकी माता छाया को कष्ठ भोगना पड़ रहा था. यमराज ने अपनी सौतेली माता और भाई शनि को कष्ट में देखकर उनके कल्याण के लिए पिता सूर्य को काफी समझाया. तब जाकर सूर्य देव ने कहा कि जब भी वह शनि के दूसरे घर मकर में आएंगे, तब शनि के घर को धन-धान्य से भर देंगे. प्रसन्न होकर शनि महाराज ने कहा कि मकर संक्रांति को जो भी सूर्यदेव की पूजा करेगा उसे शनि की दशा में कष्ट नहीं भोगना पड़ेगा.
संक्रांति पर खरीफ की फसलों का पर्व
मकर संक्रांति का वैज्ञानिक कारण यह है कि इस दिन से सूर्य के उत्तरायण हो जाने से प्रकृति में बदलाव शुरू हो जाता है. ठंड की वजह से सिकुड़ते लोगों को सूर्य के उत्तरायण होने से शीत ऋतु से राहत मिलना आरंभ होती है. भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां के पर्व त्योहार का संबंध काफी कुछ कृषि पर निर्भर करता है. मकर संक्रांति ऐसे समय में आती है, जब किसान रबी की फसल लगाकर खरीफ की फसल, धन, मक्का, गन्ना, मूंगफली, उड़द घर ले आते हैं. किसानों का घर अन्न से भर जाता है. इसलिए मकर संक्रांति पर खरीफ की फसलों से पर्व का आनंद मनाया जाता है.
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