गुरु पूर्णिमा विशेष: आदर्श गुरु को श्रद्धा और सम्मान
गुरु पूर्णिमा, हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है जिसे विशेष मान्यता दी जाती है। इस वर्ष, गुरु पूर्णिमा 3 जुलाई को मनाई जाएगी। यह पर्व अपने नामकरण की वजह से महत्वपूर्ण है, जहां ‘गुरु’ शब्द का द्वंद्वी रूप है, जिसका अर्थ होता है “गु” (अंधकार से मुक्ति के लिए) और “रु” (ज्ञान को बोध करने के लिए)। यह दिन शिष्य-गुरु सम्बन्ध की महत्ता को स्वीकार करने और गुरुओं को धन्यवाद देने का अवसर है।
गुरुगुरु पूर्णिमा के दिन लोग अपने प्रमुख गुरुओं, आध्यात्मिक गुरुओं, विद्यालयीन गुरुओं और अन्य गुरुओं के प्रति अपनी आदर्श भावना को व्यक्त करते हैं। यह दिन भक्तों के लिए एक आदर्श मौका होता है अपने गुरुओं के प्रति अभिनंदन और सम्मान व्यक्त करने का। भारतीय संस्कृति में गुरु को ईश्वर का अवतार माना जाता है और उन्हें ग
ुरुओं की आदर्शता का प्रतीक माना जाता है। गुरु पूर्णिमा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भक्तों को अपने आदर्श गुरु की प्राप्ति और उनके आदर्शों के अनुसरण के लिए प्रेरित करता है।
यह पर्व देशभर में विशेष उत्साह और धार्मिक आनंद के साथ मनाया जाता है। लोग मंदिरों और आध्यात्मिक स्थलों में गुरुओं की पूजा-अर्चना करते हैं और उन्हें पुष्प, फल, चढ़ावा और प्रणाम देते हैं। इस दिन बालकों को आध्यात्मिक ज्ञान देने के लिए गुरुओं के बागीचों में बाल संस्कार समारोह आयोजित किए जाते हैं।
गुरु पूर्णिमा एक संगीत और कला के अवसर के रूप में भी मनाया जाता है। विभिन्न आदर्श गुरुओं की उपासना के साथ, शिष्यों और अनुयायियों द्वारा संगीत, नृत्य, कविता पाठ, और अन्य कला रूपों का प्रदर्शन किया जाता है। यह अवसर आदर्श गुरुओं के मार्गदर्शन में कला के प्रशंसकों को उनकी आदर्शता और प्रेरणा का अनुभव कराता है
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