श्रीराम का राज्याभिषेक,विभीषण का राजतिलक देख भावविभोर हुए दर्शक
सिहोरा
राम जानकी मन्दिर गांधीग्राम के संयोजन में चल रही राम लीला में गुरुवार को आदर्श रामलीला मण्डल चित्रकूट के पात्रों द्वारा मंचन किए गए श्रीराम राज्याभिषेक व विभीषण का राजतिलक प्रसंग देखकर दर्शक भक्तिविभोर हो उठे। प्रसंगानुसार श्रीराम लंका पर विजय प्राप्त कर लंकापति रावण का संहार कर वहां पर अयोध्या लौटे तो अयोध्या पुर वासियों, ऋषि मुनियों ने उनका भव्य स्वागत किया।प्रभु श्रीराम के अनुज भरत ने 14 वर्षों तक श्रीराम के चरण पादुकाएं राज सिंहासन पर सम्मान स्वरूप रखी थी भरत ने इन चरण पादुकाएं को नीचे उतार कर श्रीराम को चरण पादुकाएं पहनाकर उन्हें राज सिंहासन पर ले जाकर राजगुरु ऋषि-मुनियों ने वैदिक मंत्रोचार कराते हुए श्रीराम का राज्याभिषेक राजतिलक किया।श्रीराम के राज्याभिषेक से समस्त अयोध्या पुरवासी,ऋषि-मुनि, हनुमान,वानर भालू और जय श्रीराम की आकाशीय गर्जना की ।नगरवासी झूम उठे संपूर्ण नगर में बधाईयां बजने लगी। दृश्य बहुत ही उल्लास से परिपूर्ण था।
विभीषण को दिया लंका का राजतिलक…. प्रभु श्रीराम ने शरणागत लंकापति रावण के अनुज विभीषण को ससम्मान राजतिलक कर लंका का राज्य दिया। श्रीराम कहा की तुम लंका में रामराज स्थापित करोगे। सुख शांति कायम रखोगे।
श्रीराम ने अंतिम समय सीता की अग्नि परीक्षा ले कर तथा सीता की परीक्षा में सुफल होने पर उन्हें वामांग में स्थान दिया।अंत में कई वर्षों तक राज्य करते हुए प्रभु श्री राम पुष्पक विमान से अपने धाम को गमन कर गए।” चलत विमान कोलाहल होई,जय रघुवीर कहत सब कोई”।समस्त पुरवासी जय रघुवीर की जयकारा लगाते रहे।
श्रीराम का चरित्र मनुष्य के लिये प्रेरक
रामलीला के महंत ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का व्यवहार देवता, ऋषि, मुनि, मनुष्य, पक्षी, पशु आदि सभी के साथ ही प्रशंसनीय,अलौकिक और अतुलनीय है। देवता, ऋषि, मुनि और मनुष्यों की तो बात ही क्या-जामवंत, सुग्रीव, हनुमान आदि रीछ-वानर, जटायु आदि पक्षी तथा विभीषण आदि राक्षसों के साथ भी उनका ऐसा दयापूर्ण प्रेमयुक्त और त्यागमय व्यवहार हुआ है।
उन्होंने साक्षात पूर्णब्रह्म परमात्मा होते हुए भी मित्रों के साथ मित्र जैसा, माता-पिता से पुत्र, सीता जी के साथ पति, भाइयों से भाई , सेवकों से स्वामी मुनि और ब्राह्मणों से शिष्य जैसा, इसी प्रकार सबके साथ यथायोग्य त्यागयुक्त प्रेमपूर्ण व्यवहार किया है। अत: उनके प्रत्येक व्यवहार से हमें शिक्षा लेनी चाहिए। भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, सीता सहित राजकुमारों की आरती राम जानकी मंदिर के अध्यक्ष प्रताप सिंह बघेल, दुर्गोत्सव समिति के अध्यक्ष महेश सेन, चमन असाटी,गजराज सिंह बघेल, सुरेश असाटी,चमन असाटी, बबलू दुबे, विजय चौरसिया ,भागचंद साहू,हरिशंकरतिवारी, गोरीशंकर,मंहगू चौरसिया, बंटू मिश्रा,मनोहर तिवारी आदि सभी पदाधिकारी ने की।
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