एक महीने में सिर्फ मिलते हैं बीस एंटी रेबीज इंजेक्शन
पीएचसी गोसलपुर का मामला : दर्जनों मरीज लौट जाते हैं वापस, ऊंट के मुंह में जीरा के समान आवंटन,
सिहोरा
भले ही मध्यप्रदेश की सरकार स्वास्थ सुविधा बढ़ाने हेतु प्रयासरत है लोगों को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों के साथ ही घर घर पहुंच कर शासन के अनेक अभियानों के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराई जाती है, परंतु जबलपुर जिला मुख्यालय के अंतर्गत संचालित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गोसलपुर जहां पर लगभग एक सैकडा गांव के लोग इलाज पाने के लिए आश्रित रहते है, परंतु यहां पर संचालित पीएचसी गोसलपुर में बड़े लंबे समय से एंटी रेबीज इंजेक्शन की महीने भर में महज बीस बॉयल दी जाती है जो नाकाफी है।
सिहोरा के 80 मझौली के 20 गांव आश्रित
पीएचसी गोसलपुर के अंतर्गत सिहोरा तहसील के लगभग 80 गांव एवं मझौली तहसील के 20 गांव की लगभग 80 हजार आबादी इस पीएचसी में इलाज कराने पहुंचती है। एंटी रैबीज इंजेक्शन न होने के कारण अनेक लोगों को उल्टे पांव वापस लौटना पड़ रहा है और महंगे दामों पर निजी दवाई दुकानों से खरीदना पड़ता है।
लगातार बढ़ रहे डॉग बाइट के मामले
ज्ञात हो की आसपास के क्षेत्रों में लगातार डाग बाइट के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं सड़कों पर आवारा कुत्तों का आतंक है वही बंदरों का आतंक भी तेजी से बढ़ रहा है। ये आवारा शवान लोगों को काटकर लहूलुहान कर रहे हैं। घायल मरीज रेबीज नामक बीमारी से बचने के लिए एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचता है तो वहां महीने के अंत मे हमेशा इंजेक्शन न होने का जवाब मिलता है। गौर करने वाली बात है की जिस पीएचसी में सौ गांव की 80 हजार आबादी स्वास्थ्य सुविधा पाने के लिए निर्भर है वहां पर महीने भर में बीस एंटी रेबीज इंजेक्शन उपलब्ध कराए जाते है। ऐसे में यह आंवटन ऊंट के मुंह में जीरा के समान साबित हो रहा है।
इनका कहना
पीएचसी गोसलपुर में जल्द से जल्द एंटी रैबीज इंजेक्शन का कोटा बढ़ाया जाएगा, ताकि डॉग बाइट के मामलों में अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को परेशानियों का सामना न करना पड़े।
संजय मिश्रा, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जबलपुर
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