एनटीपीसी की अनदेखी से पांच गांवों की खेती पर संकट: तकनीकी खामियों से किसानों की मेहनत बेकार

Jay Shankar Pandey

जय शंकर पाण्डेय

सीपत: एनटीपीसी सीपत परियोजना की तकनीकी खामियों और अनदेखी से बिलासपुर जिले के पांच गांवों – कौड़िया, नवागांव, तेंदुआ, मुड़पार और दर्राभांठा – के किसानों की खेती पर बड़ा संकट मंडरा रहा है। खुटाघाट जलाशय से निकलने वाली नहर, जो सीपत एनटीपीसी प्लांट की तरफ जाती है, से इन गांवों के खेत सिंचित होते थे। लेकिन एनटीपीसी के तकनीकी कर्मियों की गलतियों के कारण नहर की ढलान अब गांवों की तरफ न होकर दूसरे दिशा में मुड़ गई है, जिससे इन गांवों में पानी पहुंचना बंद हो गया है। परिणामस्वरूप, हजारों हेक्टेयर भूमि सिंचित होने से वंचित हो रही है और किसानों की मेहनत बेकार जा रही है।

खेती पर बड़ा संकट, खरीफ की फसल पर असर

इन पांच गांवों के किसान हर साल खुटाघाट जलाशय से निकलने वाली नहर के पानी से अपनी खरीफ की फसल की सिंचाई करते थे। इस साल भी किसानों ने अपने खेतों में धान और अन्य फसलों की बुआई की है। लेकिन अब पानी न आने के कारण फसलें सूखने की कगार पर हैं। अगर समय पर सिंचाई नहीं हुई, तो किसानों को बड़ा नुकसान होगा। इसका असर न केवल उनकी फसल पर पड़ेगा, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति भी गंभीर रूप से प्रभावित होगी।

सालों से बनी हुई है समस्या

ग्रामीणों ने बताया कि यह समस्या नई नहीं है। वर्ष 2008 से यह समस्या बनी हुई है, और कई बार एनटीपीसी के अधिकारियों को इसकी जानकारी दी गई है। हर बार उन्हें आश्वासन दिया जाता है, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है। खास बात यह है कि यह नहर सीपत थाने के पीछे से होकर गुजरती है, जहां नहर की स्थिति काफी जर्जर हो चुकी है। अगर समय रहते इसकी मरम्मत और सही ढलान की दिशा में सुधार नहीं किया गया, तो भविष्य में और भी गंभीर स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

तकनीकी खामियां बनीं किसानों के लिए चुनौती

एनटीपीसी जैसे बड़ी परियोजनाओं में तकनीकी खामियां अक्सर छोटी नजर आती हैं, लेकिन उनका असर व्यापक होता है। इस मामले में, नहर की ढलान की गलत दिशा और इसकी जर्जर स्थिति से स्पष्ट है कि परियोजना के तकनीकी प्रबंधन में लापरवाही बरती जा रही है। नहर की मरम्मत और सही ढलान को सुधारने का कार्य जल्द शुरू नहीं हुआ, तो इसके परिणामस्वरूप हजारों किसानों की आजीविका खतरे में पड़ सकती है।

किसानों की चेतावनी: बड़े आंदोलन की तैयारी

ग्रामीणों का धैर्य अब जवाब दे चुका है। वे सालों से इस समस्या का समाधान चाह रहे हैं, लेकिन उन्हें केवल आश्वासन ही मिले हैं। अब किसान बड़े आंदोलन की तैयारी में हैं। अगर जल्द ही एनटीपीसी और प्रशासन द्वारा इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो वे अपने हक के लिए सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे।

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