

मन की आंखों से देखा-हो गए एक दूसरे के:
नेत्रहीन वंदना ने किया नरेंद्र से विवाह, साक्षी बने अधिकारी और दृष्टिबाधित संघ

जबलपुर
दोनों ने एक-दूसरे को मन की आंखों से देखा…एक दूसरे को समझा और फिर हो गए जन्म-जन्म के लिए एक दूसरे के…जबलपुर में आज अनोखी शादी हुई। बीते 15 सालों से एक ही हास्टल में रहकर पढ़ रहे वंदना और नरेंद्र का आज विवाह हुआ है। इनके विवाह में साथियों के साथ कई अधिकारी भी मौजूद रहें। वंदना और नरेन्द्र जन्म से नेत्रहीन है। सदर काली मंदिर में हिंदू रीति रिवाज से विवाह संपन्न हुआ। कटनी के रहने वाले वंदना और नरेंद्र बीते 15 सालों से जबलपुर नेत्रहीन आश्रम में रहकर पढ़ाई कर रहे है। दोनों अपने आत्मनिर्भर होकर अपने पैरो में खड़े हो गए है।
15 सालों से एक दूसरे को जानते है वंदना और नरेंद्र
वंदना और नरेंद्र की कहानी बिल्कुल एक जैसी है। दोनो कटनी के एक छोटे से गांव के रहने वाले है। नेत्रहीन होने के कारण 15 साल पहले इनके माता-पिता ने त्याग दिया, और नेत्रहीन आश्रम में छोड़कर चले गए। दोनो हास्टल में रहकर पढ़ाई करने लगे। बचपन से दोनों एक दूसरे को समझते थे, जानते थे, बड़े होकर भी ये दोस्ती चलती रही। नरेन्द्र और वंदना दोनों ने एमए तक पढ़ाई की। अब दोनों ही शासकीय नौकरी कर रहे है। नरेंद्र अंधमूक बाईपास में स्थित नेत्रहीन स्कूल में बच्चों को पढ़ा रहे है तो वंदना भी महाकौशल कालेज में जॉब कर रही है। गुरुवार को दोनों का ढोल धमाकों के साथ विवाह हुआ।
दोनों ने एक दूसरे को किया पसंद
हास्टल अधीक्षक अंशुमान शुक्ला का कहना है कि वंदना का विवाह देखकर ऐसा लग रहा है जैसे कि हमारी बेटी का विवाह हुआ है। जैसे ही नरेन्द्र की बारात आई तो ऐसा लगा कि वंदना के जीवन में चार चांद लग गए है। वंदना अब अकेली नहीं है, उसका साथ देने के लिए नरेन्द्र है। भले ही दोनों की आंखें न हो पर मन की आंखों से दोनों ने एक दूसरे को पसंद किया और अब जिंदगी भर साथ निभाने की कसम खाते हुए हमेशा-हमेशा के लिए एक दूसरे को हो गए।
राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ ने करवाया विवाह
राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ ने नरेन्द्र और वंदना का विवाह करने का जिम्मा उठाया है। खाने-पीने से लेकर बारात, कपड़े जेवर गहने सभी की व्यवस्था संघ ने ही की है। संघ के अध्यक्ष शिव शंकर कपूर ने बताया कि ये हमारे लिए बहुत ही सौभाग्य की बात है कि हम नरेन्द्र और वंदना के शुभ विवाह के साक्षी बने है। हमने पहले ही सोच रखा था कि वंदना और नरेंद्र का विवाह हम लोग करायेंगे। वर-वधु दोनों ही शिक्षित है और आत्मनिर्भर है। विवाह के बाद अब दोनों अंधमूक बाईपास में स्थित शासकीय मकान में रहेंगे।

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