

बसों की खिड़कियों से सुरक्षा जाल नदारत, कैमरा, जीपीएस सिस्टम का पता नहीं

खितौला के मारथोमा ग्राम ज्योति इंग्लिश मीडियम स्कूल का मामला : अभिभावकों अनुविभागीय अधिकारी को सौंपा शिकायती पत्र
सिहोरा
खितौला के मारथोमा ग्राम ज्योति इंग्लिश मीडियम हायर सेकेंडरी स्कूल में अव्यवस्थाओं को लेकर अभिभावकों ने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को ज्ञापन सौंपते हुए समस्याओं के तत्काल निराकरण की मांग की। अभिभावकों ने अनुविभागीय अधिकारी को बताया कि यह समस्याएं करीब एक साल से जस की तस बनी हैं। स्कूल प्रबंधन इन समस्याओं को लेकर गंभीर नहीं है। अभिभावकों से शिकायत मिलने के बाद समस्याओं के निराकरण की बात तो कही जाती है लेकिन समस्या का निराकरण नहीं होता। अनुविभागीय अधिकारी ने अभिभावकों को आश्वासन दिया कि जल्द से जल्द स्कूल प्रबंधन को नोटिस जारी किया जाएगा।
अनुविभागीय अधिकारी सिहोरा धीरेंद्र सिंह को सौंपे शिकायती आवेदन में वैभव बिश्नोई, राकेश चौबे, सचिन जैन, मयंक दुबे, नवीन शुक्ला, राजेंद्र पटेल, विक्रम तिवारी, योगेश कुमार दुबे, रत्नेश दुबे, अमित मूलचंदानी, इफ्तिखार अहमद, महेंद्र सोनी, राहुल विश्वकर्मा, दीपक दुबे, शैलेश उपाध्याय, गौरव पांडे, चंदन पटेल पवन कुमार सहित अन्य अभिभावकों ने बताया कि बीते एक साल से स्कूल परिसर में आने जाने का रास्ता एवं खेल मैदान की स्थिति बहुत खराब है। छोटे बच्चों का पैदल चलना भी मुश्किल है। स्कूल में साफ-सुथरा स्वच्छ माहौल बच्चों को मिलना चाहिए, लेकिन स्थिति एकदम विपरीत है। उबड़-खाबड़ रास्तों के कारण आए दिन छोटे बच्चों को चोटें लग रही हैं। स्कूल की बसों में खिड़कियों में सुरक्षा जाल का आता पता नहीं है। बच्चों की सुरक्षा की दृष्टि से बसों में कैमरे और जीपीएस होना चाहिए लेकिन वह भी नहीं है। स्कूल प्रारंभ होने के समय परिसर में किसी भी जिम्मेदार व्यक्ति का ना होना एवं अभिभावकों द्वारा की जाने वाली शिकायतों को ना सुना जाना हमेशा से स्कूल प्रशासन का गैर जिम्मेदाराना व्यवहार रहा है। जबलपुर से अप डाउन करने वाले शिक्षकों की लेटलतीफी के कारण बच्चों की पढ़ाई में होने वाले नुकसान का खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। इसकी शिकायत पर स्कूल प्रशासन का रवैया हमेशा से असंतोषजनक रहा। स्कूल में पढ़ने वाले शिक्षकों का ट्यूशन का व्यापार स्कूल के माध्यम से किया जा रहा है इसमें गणित विज्ञान और अंग्रेजी पढ़ाते हैं उनकी स्कूल में एकाग्रता ना होने के कारण कमजोर बच्चों को मजबूरी में उनकी ट्यूशन में जाना पड़ता है। स्कूल बसों में क्षमता से अधिक ओवरलोडिंग होने के कारण बच्चों को भारी बस्ते के साथ खड़े होकर आना और जाना पड़ता है।

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