

न रेट लिस्ट का पता न बिल का मनमाने दामों पर बेची जा रही शराब

शराब ठेकेदार के सामने बेबस नजर आ रहे आबकारी अधिकारी
सिहोरा
सिहोरा और मझौली तहसील में शराब ठेकेदारों के सामने आबकारी विभाग का मामला पूरी तरह बेबस नजर आ रहा है। शराब ठेकेदार दुकानों में रेट लिस्ट लगा रहे और न ही बिल दे रहे हैं। खुलेआम सरकार को चुनौती देकर ठेकेदार मनमाने दामों पर शराब बेच रहे हैं। भले ही सरकार और आबकारी अमला शराब ठेकेदारों द्वारा सिंडिकेट नहीं बनाए जाने का दावा कर रहा है, लेकिन इन दावों की पोल एमआरपी से अधिक दामों पर दुकानों में बिक रही शराब खोल रही है।
अप्रैल 2023 में नई शराब दुकानों के ठेके होने के बाद शासन ने यह गाइडलाइन तय की थी कि एमआरपी के रेट पर ही ठेकेदार दुकानों से देसी एवं अंग्रेजी शराब का विक्रय करेंगे। साथ ही दुकानों के सामने हर ब्रांड की शराब की रेट लिस्ट और ग्राहक द्वारा मांगे जाने पर बिल की अनिवार्यता भी लागू की गई थी, लेकिन 2 माह से अधिक का समय बीत जाने के बाद अभी तक ना तो रेट लिस्ट का पता है न ही बिल का। आलम यह है कि एमआरपी अधिक रेट पर शराब दुकानदार ग्राहकों को शराब बेच रहे हैं। ग्राहक आला अधिकारियों को फोन पर शिकायत तो करते हैं, लेकिन अधिकारी ठेकेदारों के सामने पूरी तरह बेबस और लाचार हैं।
ग्राहकों की माने तो एमआरपी से अधिक दामों पर बेची जा रही शराब
आपको बताते चलें कि एमडी का क्वार्टर पर एमआरपी 220 रुपए है, उसे दुकानदार धड़ल्ले से 250 रुपए में बेच रहे हैं। गर्मी में सबसे ज्यादा बिकने वाली बीयर एमआरपी 200 रुपए है, लेकिन भी 20 से 30 रुपए अधिक में बेची जा रही है। ग्राहक शराब का दाम देने के बाद जब दुकानदारों से बिल मांगते हैं तो बिल नहीं दिया जाता। अब देखने वाली बात यह है कि एमआरपी से अधिक रेट पर शराब बिक्री कर लाखों रुपए की अवैध वसूली हो रही है शराब ठेकेदारों पर कब तक कार्रवाई होती है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
सिहोरा और मझौली तहसील के सभी शराब दुकानदारों को निर्देशित किया गया है कि वह अपनी दुकानों के सामने शराब विक्रय के हर ब्रांड की रेट लिस्ट लगाएं। साथ ही मांगे जाने पर ग्राहकों को बिल उपलब्ध कराएं। यदि अधिक दामों पर शराब बिक्री होती है तो ऐसे शराब दुकानदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जिनेंद्र जैन, आबकारी निरीक्षक आबकारी वृत्त सिहोरा

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