भगवान की भक्ति से ही परम सुख की प्राप्ति : पंडित जीत कृष्ण शास्त्री
वार्ड क्रमांक 4 सैयद बाबा की टोरिया में संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह का तीसरा
सिहोरा
सैयद बाबा की टोरिया वार्ड क्रमांक 4 कटरा मोहल्ला सिहोरा में जय मां दुर्गा उत्सव समिति के संयोजन में संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के तृतीय दिवस कथा व्यास पीठ से पंडित जीत कृष्ण शास्त्री ने ध्रुव चरित्र के प्रसंग का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भगवान को भक्ति से ही पाया जा सकता है महान ध्रुव ने अपनी भक्ति के माध्यम से ही भगवान विष्णु को पाया।
मनु और शतरूपा के दो पुत्र हुए और तीन पुत्रियां। पुत्रों के नाम प्रियव्रत और उत्तानपाद। राजा उत्तानपाद की दो रानियां हैं, एक का नाम सुरुचि और दूसरी का नाम सुनीति है। राजा सुरुचि को अधिक प्यार करते हैं। जिनके पुत्र का नाम उत्तम है और सुनीति के पुत्र का नाम ध्रुव है। बालक ध्रुव एक बार पिता की गोद में बैठने की जिद करने लगता है लेकिन सुरुचि उसे पिता की गोद में बैठने नहीं देती है।
ध्रुव रोता हुआ मां सुनीति को सारी बात बताता है, मां की आंखों में आंसू आ जाते हैं और वह ध्रुव को भगवान की शरण में जाने को कहती हैं। पांच वर्ष का बालक ध्रुव राज्य छोड़कर वन में तपस्या के लिए चला जाता है। नारद जी रास्ते में मिलते हैं और ध्रुव को समझाते हैं कि मैं तुम्हें पिता की गोद में बैठूंगा लेकिन ध्रुव ने कहा कि पिता की नहीं अब परम पिता की गोद में बैठना है। कठिन तपस्या से भगवान प्रसन्न हो वरदान देते हैं।
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