5वीं, 8वीं के वार्षिक परीक्षा केंद्र दूर बनाए जाने से अभिभावकों में असंतोष
शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने की मंशा को होगा नुकसान
सिहोरा
छात्र-छात्राओं के परिवार बड़े ही असमंजस की स्थिति में हैं। शिक्षा विभाग ने 5वीं और 8वीं कक्षा का परीक्षा केंद्र 5 से 10 किमी दूर तक बना दिया है। इसकी वजह से बच्चों के अभिभावक परेशान हैं कि बच्चे इतनी दूर परीक्षा देने कैसे जाएंगे। वहीं गावों में बस ट्रेन रिक्शा जैसी सुविधा भी नहीं है जिससे छात्र-छात्राएं समय पर परीक्षा केंद्र पहुंच जाएं। राज्य शिक्षा केन्द्र के निर्देश पर दिनांक 25 मार्च समय सुबह 9 से 11:30 तक कक्षा 5 वीं और 8 वीं की परीक्षा ली जानी है। जिससे यहां के छात्रों की फजीहत हो गई है। विभाग द्वारा छोटे-छोटे बच्चों का परीक्षा केंद्र इतनी दूर करने से अभिभावक बेहद आक्रोशित हैं। अभिभावकों का कहना है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम में शासन का उद्देश 6 से 14 वर्ष आयु के बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ना है इसके लिए सत्रारंभ में स्कूल चले हम कार्यक्रम चलाया जाता है जिससे कि शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़े, किन्तु इस आयु वर्ग के बच्चों को परीक्षा के लिए इतनी अधिक दूरी तय करवाना न तो न्याय संगत है और न ही उचित।
अभिभाकों ने यह भी कहा है कि माध्यमिक शिक्षा मंडल बोर्ड की तर्ज पर बच्चों को दूरस्थ स्थानों पर बनाए गए परीक्षा केंद्रों में परीक्षा देने भेजा जा रहा है बड़े बच्चों के लिए तो यह ठीक है किंतु उसी तरीकों को छोटे बच्चों के लिए अपनाया जाना सर्वथा अनुचित है।
अभिभवकों ने कहा है कि छोटे-छोटे बच्चे इतनी दूर परीक्षा देने कैसे जाएंगे। गांव में न बस आती है न ट्रेन न कोई अन्य साधन और सभी के पास खुद के साधन भी नहीं हैं जो बच्चों को सुबह सुबह 5 से 10 से किमी दूर ले जाए। वहीं सबसे बड़ी समस्या है कि अभी फसल कटाई का समय है। सभी लोग खेत पर मजदूरी के लिए चले जाते हैं। ऐसे में बच्चो को लेकर जाना और वहां से पुनः उन्हें लाना, बच्चे तो परेशान होंगे ही साथ ही उस दिन की दिहाड़ी मजदूरी भी चली जाएगी।
यह होगा दुष्परिणाम
इसका दुष्परिणाम यह होगा कि आवागमन की सुविधा के अभाव में एवं दूरी अधिक होने व बैठक व्यवस्था पर्याप्त एवं सुविधाजनक न होने के कारण शत-प्रतिशत बच्चे परीक्षा में सम्मिलित नहीं हो पाएंगे। अभिभावकों का आरोप है कि जहां एक ओर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री एवं शिक्षामंत्री ज्यादा से ज्यादा बच्चों को शिक्षा से जोड़ने एवं परीक्षा को सरल बनाने का प्रयास कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विभाग द्वारा जारी इस तरह के निर्देशों से बच्चे विद्यालय एवं परीक्षा से दूर होंगे।
अभिभावकों का शासन से आग्रह किया है कि पांचवीं एवं आठवीं के ऐसा किया जा रहा है जिससे परीक्षा में छात्रों की कम उपस्थिति कम होगी एवं खराब परीक्षा परिणाम आएंगे जिसके लिए जिम्मेदार शिक्षक नहीं, बल्कि इस तरह की अव्यवहारिक नीति बनाने वाले अधिकारी होंगे।
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