

निजी प्रेक्टिस करते मिले एमयु के डिप्टी रजिस्ट्रार
जबलपुर(ईएमएस)। अक्सर विवादों की वजह से सुर्खियों मे रहने वाली मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (एमयू) एक बार फिर इसके एक विवादित अधिकारी के नए कारनामे से सुर्खियों में हैं। सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में नियुक्ति के बाद नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को बाइपास कर किसी तरह जुगाड़ कर एमयू में डिप्टी रजिस्ट्रार (सहायक कुलसचिव) बने डॉ. अमित किनारे गत दिवस नियम विरूध्द सिहोरा में निजी प्रेक्टिस करते दिखाई दिये। एमयू के कार्यालयीन समय में जब उन्हें कार्यालय में होना चाहिए था उस समय नियुक्ति की सेवा शर्तों के विरूध्द निजी प्रेक्टिस के विषय में मीडिया कर्मियों के सवालों के जवाब में वे बगलें झाँकते रहे। सेवा शर्तों के विरूध्द निजी प्रेक्टिस करते पाये गए चिकित्सकों के खिलाफ क्या कार्यवाई होती है ये तो जल्द ही सामने आ जाएगा सूत्रों की माने तो एमयू प्रबंधन ने हालही में डॉ. किनारे की अनुभवहीनता ओर विश्वविद्यालय के सौंपे गए दायित्वों को निभाने में असक्षमता के खिलाफ चिकित्सा शिक्षा विभाग के एसीएस मोहम्मद सुलेमान को 8 अप्रैल को एक पत्र भी प्रेषित किया हैं। सूत्रों की माने तो पत्र में डॉ. किनारे की प्रतिनियुक्ति वापस लेने की बात कही गई हैं। ज्ञात हो की एमयू के ये पहले ऐसे अधिकारी रहे जिनके खिलाफ बड़ी संख्या में महिला कर्मचारियों द्वारा रजिस्ट्रार को अभद्र व्यवहार सहित अन्य गंभीर आरोप लगाते हुए हस्ताक्षरित शिकायत दी थी।
निजी प्रेक्टिस पूर्णतः निषेध
डॉ किनारे की नियुक्ति सुपर स्पेसिलिटी हॉस्पिटल में किए जाने के दौरान सेवा शर्तों के बिन्दु 6.1 में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि चिकित्सा शिक्षक के लिए निजी प्रेक्टिस (प्राइवेट प्रेक्टिस) प्रेक्टिस पूर्णतः निषेध होगी। प्राध्यापक, सह प्राध्यापक एवं सहायक प्राध्यापक के प्रारंभिक मासिक एकमुश्त निश्चित वेतन पर प्रतिवर्ष 8 फीसद की दर से वार्षिक वेतन वृध्दि देय होगी। सेवा शर्त 6.6(अ) में कहा गया है कि चिकित्सा शिक्षक द्वारा की गई शल्य चिकित्सा तथा इंटरवीन्शन उपचार अनुसंधान से प्राप्त राजस्व का 20 प्रतिशत या समय समय पर शासन द्वारा जारी निर्देशानुसार एवं 6.6(ब) मे कहा गया हैं कि शिक्षक द्वारा पेड ओपीडी में देखे गए मरीज से प्राप्त राजस्व का 50 फीसद उसे दिया जाएगा। सेवा शर्तों को देखने से पता चलता हैं कि न सिर्फ शासन से मोटी तन्ख्वाह वसूल रहे हैं बल्कि इसके बावजूद भी सेवा शर्तों का खुल्ला उल्लंघन कर निजी प्रेक्टिस से भी धन उगाही में लगे हैं। यह केवल सेवा शर्तों का ही नहीं बल्कि एमपी स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालयीन शैक्षणिक आदर्श सेवा नियम 2018 का भी उल्लंघन बताया जा रहा हैं।
आवेदन में लिख दिया था नॉट एलीजीबल
सूत्रों के अनुसार स्टाफ के साथ सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में चिकित्सकों की भी कमी है। ऐसे में यहाँ पदस्थ डॉ. अमित किनारे जैसे चिकित्सक भी है जो पहले सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर पदस्थ होने के बाद विभाग में पहुंच का इस्तेमाल कर एमयू में चिकित्सकीय कार्य छोड़ डिप्टी रजिस्ट्रार बनने एड़ी चोटी का जोर लगाते हैं, यही नहीं जब प्रभाव के इस्तेमाल के चलते जब एमयू में डिप्टी रजिस्ट्रार का पदभार ग्रहण कर लेते हैं तो इस प्रयास में रहते हैं कि किसी तरह एमयू के मलाईदार पद के साथ हॉस्पिटल में भी दखल बना रहे। हद तो तब हो गई जब सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल ओर एमयू मे सेवाएँ देने के दौरान भी चिकित्सक नियमों का मखौल उड़ाते हुए निजी प्रेक्टिस भी कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि शहर में पदस्थ रहे एक पूर्व संभागायुक्त दीपक खांडेकर के रिश्तेदार होने का चिकित्सक द्वारा भरपूर लाभ उठाया गया। सूत्रों का कहना हैं कि डॉ किनारे के सुपर स्पेशियलिटी मे आए आवेदन में ही चयन समिति ने नॉट एलीजीबल (अयोग्य) लिख दिया गया था। इसके बावजूद प्रभाव का इस्तेमाल कर उनकी नियुक्ति हुई। हालांकि चिकित्सक का कहना है कि उन्होंने कोई प्रभाव का इस्तेमाल नहीं किया जबकि नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के अधिष्ठाता की मानें तो चिकित्सक द्वारा कॉलेज प्रबंधन को बायपास कर सीधे मंत्रालय से संपर्क कर प्रबंधन अभिमत देने से पहले ही स्थानांतरण करा लिया गया। इस मामले में चिकित्सक के रिश्तेदार और पूर्व संभागायुक्त मौन धारण किए हुए हैं।
चर्चा के पांच दिन बाद याद आया अस्पताल
इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी विषय मेंं डॉ. अमित बी किनरे पिता बुंधदास बी किनारे की सहायक प्राध्यापक के रूप में अन्य ८ चिकित्सकों के साथ नियुक्ति ६ फरवरी २०१९ को की गई। सूत्रों के अनुसार नियुक्ति में कम से कम ३ वर्षों तक सेवा देने के नियम को धता बताते हुए डॉ. अमित किनारे ने शासन को पत्र लिख कर एमयू में १६ जुलाई २०२१ को स्थानांतरण करा लिया। सुपर स्पेशियलिटी में स्टाफ चिकित्सकों की कमी और ऐसे में भी चिकित्सकों का मलाईदार विभागों की तरफ पलायन पर जबलपुर एक्सप्रेस ने १३ नवंबर को जब चर्चा की तो उन्होंने कहा कि उनकी इच्छा के विरुद्ध शासन ने उनका स्थानांतरण एमयू में कर दिया। जब इस विषय में अधिष्ठाता मेडिकल कॉलेज से चर्चा की गई तो हकीकत कुछ और ही सामने आई। पता चला कि डॉ. किनारे ने मेडिकल प्रबंधन को बायपास कर सीधे शासन को पत्र भेजा, शासन ने मेडिकल प्रबंधन से अभिमत भी मांगा लेकिन जब तक प्रबंधन अपना अभिमत भेज पाता, डॉ. किनारे के एमयू में स्थानांतरण के आदेश आ गए। १३ नवंबर को हमसे चर्चा के ५ दिन बाद डॉ किनारे ने फिर अधिष्ठाता को पत्र लिखा और एमयू में डिप्टी रजिस्ट्रार रहते हुए सुपर स्पेशियलिटी में भी सेवाएं देने की पेशकश कर डाली।
यह लिखा पत्र में
डॉ. किनारे ने अधिष्ठाता को संबोधित अपने पत्र में कहा कि उनकी सुपर स्पेशियलिटी में सेवाएं समाप्त हो रही हैं जबकि हॉस्पिटल में हृदय रोग विशेषज्ञ चिकित्सक की आवश्यकता है, क्योंकि हॉस्पिटल में लगभग १०० मरीज प्रतिदिन उपचार के लिए आते हैं। वर्तमान में सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल में कुल मिलाकर तीन मुख्य कार्डियोलॉजिस्ट हैं।
डॉ किनारे में पत्र में कहा कि पूर्व आदेश के अंतर्गत डॉ. आर एस शर्मा, डॉ. अजय मिश्रा, डॉ. पुष्पराज सिंह बघेल, डॉ. नीरज जैन, डॉ. दीपक वरकड़े, डॉ. विकेश अग्रवाल, डॉ. तृप्ति गुप्ता, डॉ. संजय तोतड़े अधिष्ठाता के आदेश के चलते हॉस्पिटल के मूल कार्य के साथ-साथ एमयू के कार्यों का निर्वहन भी कर रहे थे। डॉ. किनारे ने जनहित एवं चिकित्सालय के हित का हवाला देते हुए सुपर स्पेशियलिटी में सेवाएं समाप्त किए जाने के आदेश को अपने अनुकूल न बताते हुए एमयू के साथ हॉस्पिटल का उत्तरदायित्व सौंपने की बात कही है।
समरथ को नहीं दोष…
नियुक्ति के दौरान यह नियुक्ति आदेश में ही शर्त थी कि चिकित्सा शिक्षक को कम से कम ३ वर्ष की सेवा देने के लिए बंधपत्र प्रस्तुत करना होगा। ३ वर्ष के पूर्व सेवा छोडऩे की दशा में बकाया राशि संबंधित से भू-राजस्व की बकाया राशि की भांति वसूल की जाएगी। इस बावत १ हजार रुपए का स्टांपित बांड भी भरवाया गया था। सूत्रों के अनुसार डॉ. किनारे द्वार महज लगभग डेढ़ वर्ष की सेवा देने के बाद प्रभाव का इस्तेमाल कर एमयू में डिप्टी रजिस्ट्रार बन जाने के बाद भी वसूली नहीं की गई।
गैर अनुभवी अधिकारियों से बेपटरी हुई व्यवस्थाएं
एमयू सूत्रों के अनुसार जहाँ पूर्व में एमयू में गैर अनुभवी एवं विवादास्पद अधिकारियों के कारण विश्वविद्यालय कि व्यवस्था चौपट ही नहीं हुई बल्कि बेपटरी हो गई थीं। शासन द्वारा बिना चेते पुन: एक ऐसे चिकित्सक को नियुक्ति एमयू में कर दी जिनकी प्रशासनिक दक्षता शून्य है। सूत्रों द्वारा कही गई इस बात की पुष्टि स्वयं चिकित्सक द्वारा शासन और अन्य निकायों को भेजे गए पत्रों से न सिर्फ हो रही है बल्कि वे स्वयं भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि वे चिकित्सकीय कार्य करने में सक्षम है प्रशासनिक व्यवस्थाएं संभालने में नहीं। हालहीं में डॉ. किनारे के द्वारा अधिष्ठाता को भेजे गए पत्र से भी इस बात की पुष्टि हो रही है कि उनके एमयू में आने से सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल का कार्य भी प्रभावित हो रहा है। मौसम में बदलाव और ठंड की वजह से वैसे भी हृदय रोगियों की संख्या बढ़ जाती है। सूत्रों का कहना है कि शासन आखिर क्यों एमयू में प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की नियुक्ति कर रहा है।
रजिस्ट्रार की उपस्थिती में भी कर रहे उनके हस्ताक्षर
एमयु में उक्त चिकित्सक की प्रशासनिक अक्षमता कहें, अनुशासनहीनता कहें या फिर वरिष्ठता ओर कनिष्ठता के नियमों की अज्ञानता कहें, वास्तविकता जो भी हो उक्त अधिकारी अपने कार्यों का भलीभाँति निर्वहन नहीं कर पा रहें हैं। सूत्रों के अनुसार कर्मचारियों के अवकाश से लेकर वे अपने हर पत्र में स्वयं के हस्ताक्षर के साथ ही रजिस्ट्रार डॉ. प्रभात बुधोलिया के हस्ताक्षर भी स्वयं ही कर लेते हैं। इस विषय में डॉ. किनारे का कहना हैं कि डॉ. बुधोलिया कि अनुपस्थिति की वजह से ऐसा किया जबकि डॉ. बुधोलिया की बात माने तो डॉ. किनारे उनकी उपस्थिति में भी उनके हस्ताक्षर बिना पूछे ओर बताए कर देते हैं।

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