कुण्ड वितरिका नहर के बदतर हालात
नहरों में कीचड़, कचरे का अंबार , पानी का प्रवाह सही नही हो पाता
झाड़ियों,पेड़ पौधों से पटी हैं नहर
सिहोरा
हर साल नहरों के रखरखाव के लिए लाखों का बजट आता है।पूरी गर्मी से लेकर जुलाई के समय तक नहरें बन्द चल रही थीं तब नहरों की साफ सफाई करा लेना चाहिए था किन्तु नहीं कराया गया।नर्मदा घाटी बरगी नहर व्यापवर्तन परियोजना के जल उपभोक्ता संस्था गांधीग्राम की कुंड वितरिका पिपरिया नहर में वर्तमान समय में कीचड़ और कचरा पटा पड़ा हुआ है जिससे नहरें दो से तीन फुट तक कीचड़, मिट्टी, पत्थरों से पुर चुकी है। इसके अलावा लंबे समय से नहरों की साफ सफाई नहीं होने से नहरों की मेड़ से लेकर नहर के अन्दर तक पेड़,पौधों,झाड़ियों से पटी पड़ी हैं। गर्मी के मौसम में विभाग नहरों की साफ-सफाई नहीं करवा सका, तो अब जब जब नहरें चालू होती हैं तो टेल तक पानी नहीं पहुंच पाता है। साथ ही, सीपेज से पानी व्यर्थ बहता रहता है।
विभाग नहीं कराता साफ सफाई
नहर की साफ-सफाई के लिए विभाग के पास दो माह का समय रहता है।इस अवधि में उसे नहरों की सफाई करा लेना चाहिए किंतु न तो गर्मी में साफ सफाई का काम हो पाया और अब तो होने से रहा।
अंतिम छोर तक नहीं पहुंचता पानी
किसान वासुदेव मिश्रा, अंजनी कुमार, प्रकाश मिश्रा, ओम प्रकाश चौरसिया,भूपेंद्र चौरसिया, धनंजय लखेरा,खुशीलाल, सुदामा प्रसाद, राम निरंजन दुबे, उत्तम तिवारी के अनुसार की कई वर्षों से नहरों की साफ सफाई नहीं होने का नतीजा है कि नहर की तलहटी ऊंची नीची हो गई पानी का प्रवाह सही तरीके से नहीं हो पाता है, साथ ही पानी अंतिम छोर तक नहीं पहुंच पाता ,जिस से हर वर्ष किसानों को परेशानी बनी रहती थी। इसका मुख्य कारण था कि नहरों की ढंग से सफाई ही नहीं की जाती थी। संपर्क नहरों में तो बडे़-बड़े पौधे लगे हुए थे, जिस कारण नहरों का पानी आगे पहुंचता ही नहीं रहा।
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