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स्वास्थ्य पर खतरा : छत्तीसगढ़ में फफूंद लगी पैरासिटामोल से मचा हड़कंप, 20 लाख गोलियां अस्पतालों में

23 Aug 2025 | राजेन्द्र उपाध्याय | 11 views
स्वास्थ्य पर खतरा : छत्तीसगढ़ में फफूंद लगी पैरासिटामोल से मचा हड़कंप, 20 लाख गोलियां अस्पतालों में

रायपुर : छत्तीसगढ़ में लोगों की सेहत के साथ बड़ा खिलवाड़ सामने आया है। राज्य सरकार को दवा सप्लाई करने वाली एक कंपनी की 20 लाख से ज्यादा पैरासिटामोल गोलियां खराब गुणवत्ता की निकली हैं। इन गोलियों पर काले धब्बे पाए गए हैं, जो इस्तेमाल के लिए असुरक्षित हैं। यह खुलासा तब हुआ जब प्रदेश के 90 से ज्यादा सरकारी अस्पतालों में मरीजों के लिए दवा की स्ट्रिप खोली गई और गोलियों पर फफूंद साफ दिखी। स्वास्थ्य विभाग ने तत्काल इन गोलियों के बैच को वापस लेने का आदेश दिया है। इस मामले ने एक बार फिर सरकारी अस्पतालों में घटिया और महंगी दवाइयों की खरीद पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

9M इंडिया की पैरासिटामोल पर उठे सवाल, निगम ने दिए वापस लेने के निर्देश

यह पूरा मामला तब सामने आया जब छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSCL) ने स्वास्थ्य इकाइयों और गोदामों से लगातार मिल रही शिकायतों के बाद साल 2024 में तैयार किए गए पैरासिटामोल 500 एमजी और 650 एमजी टैबलेट के बैच की जांच कराई। जांच में महासमुंद स्थित 9M इंडिया कंपनी द्वारा सप्लाई की गई ये दवाएं गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतरीं। CGMSCL की लैब रिपोर्ट में भी यह बात पुष्ट हो गई कि गोलियों में काले धब्बे हैं, जिससे ये मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं।

करोड़ों की दवाइयां वापस, मरीजों की जान से खिलवाड़

दवाओं की इस गंभीर लापरवाही के बाद सीजीएमएससीएल ने कंपनी को आदेश दिया है कि वह सभी संदिग्ध बैच तुरंत वापस ले और उसकी जगह अच्छी गुणवत्ता वाली नई दवाएं जल्द से जल्द उपलब्ध कराए। निगम ने यह भी साफ चेतावनी दी है कि अगर कंपनी ने तय शर्तों का पालन नहीं किया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि वायरल के मौजूदा दौर में इस तरह की घटिया दवाओं की सप्लाई जनस्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा है। उन्होंने सरकार से ऐसी कंपनियों पर कड़ी नजर रखने की अपील की है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। एक अप्रैल 2024 से अब तक 19,93,497 टैबलेट अस्पतालों में भेजी जा चुकी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की महंगी और घटिया दवाएं खरीदना सिर्फ सरकारी पैसों की बर्बादी नहीं, बल्कि मरीजों की जान को भी खतरे में डालना है।

पहले भी हुई हैं ऐसी शिकायतें

यह पहली बार नहीं है जब सरकारी अस्पतालों में दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठे हैं। पहले भी कई बार दवाओं में फंगस, रंग बदलने और टूटने जैसी शिकायतें मिल चुकी हैं। करोड़ों रुपये की दवाएं गोदामों और अस्पतालों से वापस की जा चुकी हैं। इस मामले में वापस लिया गया बैच नंबर आरटी 24011 है, जिसका निर्माण जनवरी 2024 में हुआ था और जिसकी अंतिम तिथि दिसंबर 2025 है। इस बैच में 48,000 टैबलेट (500 एमजी) शामिल थीं। इसके अलावा, डीएनएस, आरएल स्लाइन, सर्जिकल दस्ताने, इंजेक्शन पाउडर और सर्जिकल ब्लेड जैसी कई अन्य मेडिकल सप्लाइज भी खराब गुणवत्ता की पाई गई हैं।


राजेन्द्र उपाध्याय
राजेन्द्र उपाध्याय

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