प्रयागराज। महाकुंभ मेले की पावन भूमि पर इस बार आध्यात्मिकता और मानवता का अद्भुत संगम देखने को मिला। आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर ने मंगलवार रात 8 बजे महाकुंभ नगरी से दुनिया भर के लाखों लोगों को लाइव निर्देशित ध्यान कराया। यह कार्यक्रम ‘मेडिटेट विद गुरुदेव फ्रॉम महाकुंभ’ के तहत आयोजित किया गया, जिसमें 180 देशों के भक्त और साधक जुड़े। गुरुदेव ने ध्यान और साधना के माध्यम से मानवता को एकता, शांति और करुणा का संदेश दिया।
गुरुदेव ने कहा, “कुंभ पर्व का सार है अपने भीतर की पूर्णता को जानना। यह तभी संभव है जब ज्ञान, भक्ति और कर्म एक साथ हों। गंगा ज्ञान का प्रतीक है, यमुना भक्ति का प्रतीक है और सरस्वती, जो अदृश्य है, कर्म का प्रतीक है।” उन्होंने आगे कहा कि महाकुंभ का समय हमें क्षणभंगुर से शाश्वत की ओर ले जाता है, जहाँ व्यक्तिगत चेतना ब्रह्म चेतना में विलीन हो जाती है।
मंगलवार की सुबह गुरुदेव ने संगम तट पर पवित्र त्रिवेणी स्नान किया और प्रयागराज के प्रसिद्ध बड़े हनुमान जी के दर्शन किए। अचला सप्तमी के अवसर पर आर्ट ऑफ लिविंग कैंप में रूद्र पूजा और सूर्य सूक्त होम का आयोजन किया गया। इस दौरान सैकड़ों आर्ट ऑफ लिविंग प्रशिक्षकों ने गुरुदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया। सोमवार की सत्संग संध्या पर जूना अखाड़े के नागा साधुओं और कई गणमान्य लोगों ने गुरुदेव से मुलाकात की।
महाकुंभ मेले में आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा कई सेवा कार्य भी किए जा रहे हैं। कैंप में प्रतिदिन 25,000 से 30,000 श्रद्धालुओं के लिए दो बार एक टन खिचड़ी तैयार की जा रही है। इसके अलावा, श्री श्री तत्त्व के 8 अनुभवी नाड़ी वैद्य प्रतिदिन 500 श्रद्धालुओं को निःशुल्क नाड़ी परीक्षण और परामर्श दे रहे हैं। महाकुंभ के अखाड़ों और कल्पवासी क्षेत्रों में लाखों साधु-संतों और तीर्थयात्रियों के लिए 250 टन खाद्य सामग्री का वितरण किया जा रहा है, जिसमें घी, मसाले, दालें और बिस्किट शामिल हैं।
गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर के मार्गदर्शन में यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर रहा, बल्कि इसने मानवता को एक नई दिशा देने का संदेश भी दिया। महाकुंभ की पवित्र भूमि पर यह आयोजन सभी के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बन गया।
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