

विधायक और सरकार के बीते 1 वर्ष
क्या रही इस एक वर्ष की उपलब्धि
सिहोरा
मध्य प्रदेश की सरकार के गठन और सिहोरा के विधायक के कार्यकाल का 1 वर्ष समय बीत चुका है या यूं कहें कि अब सरकार के कार्यकाल के 4 वर्ष से रह गए हैं ।आज सिहोरा में भाजपा कार्यकर्ताओं ने अपने विधायक के एक वर्ष होने पर सोशल मीडिया को अनेक शुभकामनाओं से पाट दिया।कुछेक पोस्टरों में कुंडम में अस्पताल को जमीन दान को महान कार्य बताते हुए शानदार विधायक होने की संज्ञा भी दी गई।
कैसा बीता यह एक वर्ष,क्या रही उपलब्धियां
मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने और विधायक चने जाने के बाद के बीते समय पर प्रकाश डालें तो हम पाएंगे कि विधानसभा चुनाव के बाद सिहोरा में विधायक संतोष बरकड़े के 40 हजार से अधिक मतों से जीतने के मामले को भाजपा कार्यकर्ताओं ने जोर-जोर से प्रचारित किया और इसके धन्यवाद के स्वरूप दो तीन महीनो तक धन्यवाद रैलियां और आयोजन सिहोरा विधानसभा के विभिन्न क्षेत्रों में होते रहे। इसी बीच लोकसभा चुनाव की आहट प्रारंभ हुई और सरकार गठन से 6 महीने तक पूरी पार्टी लोकसभा के चुनाव प्रचार में जुट गई ।इस दौरान “मोदी की गारंटी” के नाम से भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा जिन बातों को उठाया गया उन्हीं बातों को विधायक और भाजपा कार्यकर्ता जन-जन तक पहुंचाने में लगे रहे। इस दौरान आचार संहिता भी प्रभावशील रही और सत्ता प्राप्त करना राजनीतिक दलों का प्रथम कार्य रहा इसलिए इस दौरान ऐसे कोई भी क्षेत्र विकास के कार्य प्रारंभ नही हुए जिन्हे विधायक संतोष बरकड़े के कार्यकाल की उपलब्धियों में जोड़ा जा सके।लोकसभा चुनाव के बाद एक बार फिर सांसद की धन्यवाद रैलियां होने लगी।बचे समय में एक छोटे कार्यकर्ता से सरकार तक भाजपा के सदस्यता अभियान को पूर्ण करने में लगे रहे।अगर यह कहे कि बीता एक वर्ष जनता के लिए कोई उपलब्धि भरा नही रहा तो कोई गलत नही होगा।
पुराने सारे मुद्दे नंदनी के साथ गायब
कहने को तो विधायक और सरकार भाजपा की है पर विधायक और मुख्यमंत्री बदलते ही नजरिया बदल जाता है इसके अनेक प्रमाण सिहोरा में नजर आ जाते है।पूर्व विधायक नंदनी मरावी ने अपने कार्यकाल के अंतिम समय शासकीय आई टी आई की शुरुआत कन्या शाला के एक कमरे में कर तो दी पर उसके लिए पूर्व से कुर्रे रोड़ में स्वीकृत भवन के निर्माण में विधायक बरकडे ने कोई रुचि नहीं ली। ऐसा ही हस्र डिवाइडर का भी है जो नंदनी मरावी के कार्यकाल में बनना प्रारंभ तो हुआ पर अब एक वर्ष बाद भी अधूरा पड़ा हुआ है।शासकीय अस्पताल भी जस का तस विकास की राह तक रहा है। ऐसे ही केंद्रीय विद्यालय के प्रारंभ होने और मझगवां के नगर परिषद की घोषणा की पूर्ति के प्रति भी भाजपा संगठन और विधायक बरकड़े कोई पहल करते दिखाई नहीं दिए।
जिला मुद्दे को पकड़ा पर जोर नही लगाया
अगर विधानसभा चुनाव के पहले सिहोरा जिला आंदोलन ने रफ्तार न पकड़ी होती तो नंदनी एक बार फिर भाजपा की विधायक प्रत्याशी होती।पूर्व विधायक नंदनी मरावी के सिहोरा जिला मुद्दे पर ढुलमुल रवैए का खामियाजा उन्हें अपनी टिकिट खोने के रूप में मिला और इसका लाभ संतोष बरकड़े को मिल गया।विधानसभा चुनाव से पहले सिहोरा जिला मुद्दे पर संतोष बरकड़े और पार्टी दोनो जनता से वादा करते नजर आए पर चुनाव में जीत के बाद पार्टी संगठन और विधायक बरकड़े कोई खास पहल करते नजर नहीं आ रहे है।इन बीते एक वर्षो में विधायक मुख्यमंत्री से जिले की मांग तक नही कर सके है।
कोई विजन जनता तक नही पहुंच सका
सिहोरा के नजरिए से देखें तो इसके विकास में विधायक और सांसद की मुख्य भूमिका होती है।दोनो ही नेता लगभग सारे मंचों से सिहोरा की जनता द्वारा उन्हें मिले सर्वाधिक वोटों का तो जिक्र करते है पर कभी भी दोनो ने जनता के समक्ष सिहोरा के विकास को लेकर अपना कोई विजन स्पष्ट नहीं किया और न ही जनता से उनकी कोई राय ही ली।
गुटबाजी को लगा विराम
आज तक जो भी विधायक बनता रहा उसके समर्थकों का अपना एक अलग गुट भी बनता रहा।पर इसे विधायक बरकड़े की उपलब्धि माने कि आज सिहोरा में भाजपा कार्यकर्ताओं का ऐसा कोई धड़ा नही जिसे हम विधायक का गुट कह सके।पुराने नए सभी से संबंध उनकी एक पहचान के रूप में सामने आ रही है।हालाकि अनेक अवसरों पर वे उन चंद लोगों से घिरते भी नजर आए जिन्होंने कथित रूप से पूर्व विधायक नंदनी मरावी की लुटिया डुबोने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
गौर से देखें तो अब यही हमारा लोकतंत्र है, जहां चुनाव के पहले और कुर्सी एवं सत्ता पाने के बाद नेताओ के स्वभाव में अंतर स्पष्ट दिखाई देता है।एक सच और यह भी है कि एक वर्ष गुजरा जरूर है पर चार वर्ष का लंबा समय शेष भी है।देखना होगा कि विधायक बरकड़े सिहोरा जिला सहित अन्य मामलों में अपने कार्यकाल में क्या क्या उपलब्धियां हासिल कर पाते है।

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