

बिलासपुर। यह कहानी आपको सोचने पर मजबूर कर देगी …कुदरत का कहर कुछ ऐसा कि एक ही दल के तीन नेताओं के साथ सड़क दुर्घटना यह जरा सुनने में अजीब लग रहा है लेकिन यह हकीकत है. भारतीय जनता पार्टी के तीन नेताओं का नवंबर में सिलसिलेवार एक्सीडेंट हुआ । तीन प्रमुख नेताओं के साथ घटी इन सड़क दुर्घटनाओं ने प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है। सवाल यह है कि यह महज संयोग है या राजनीति के काले खेल का कोई हिस्सा? विपक्ष ने इसे सरकार की विफलता बताते हुए सरकार को घेरा है।

पहली घटना: पूर्व मंत्री कृष्णमूर्ति बांधी की फोर्ड इको स्पोर्ट को हाइवा ने ठोका
मस्तूरी के पूर्व विधायक और पूर्व मंत्री डॉ. कृष्णमूर्ति बांधी उस समय बड़े हादसे से बाल-बाल बचे जब जोधरा चौक के पास उनकी कार को एक तेज रफ्तार ट्रक ने टक्कर मार दी। गनीमत रही कि बांधी सुरक्षित बच गए, लेकिन उनकी कार बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। इस घटना के बाद उनके समर्थक काफी नाखुश नजर आए उन्होंने आरोप लगाया कि नेताओं की सुरक्षा पर सरकार का फोकस होना चाहिए

रायपुर से लौटते वक्त पूर्व महिला आयोग अध्यक्ष हर्षिता पांडे की इनोवा भी……
छत्तीसगढ़ महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष हर्षिता पांडे रायपुर से लौटते वक्त एक बड़े हादसे का शिकार हो गईं। उनकी कार को एक अनियंत्रित हो कर सड़क से उतर गई घटना इतनी भयंकर थी कि उनकी कार के परखच्चे उड़ गए घटना में हर्षिता को को मामूली चोट आई मगर एक बड़ा हादसा टल गया

तीसरी सबसे भयावह घटना: मंत्री रामविचार नेताम घायल
प्रदेश के कृषि मंत्री रामविचार नेताम के साथ सबसे गंभीर हादसा हुआ। बेमेतरा से लौटते समय उनकी कार एक पिकअप वाहन से जोरदार टकरा गई। इस भीषण टक्कर में उनकी कार के परखच्चे उड़ गए। नेताम को हल्की चोटें आईं, लेकिन उनके स्टाफ गंभीर रूप से घायल हो गए। इसके बाद ग्रीन कॉरिडोर बनाकर उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया इस घटना के बाद तो प्रदेश में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया।
राजनीति गरमाई, विपक्ष ने सरकार पर साधा निशाना
इन तीन घटनाओं के बाद विपक्ष ने सरकार को घेर लिया है। कांग्रेस प्रवक्ता अभय नारायण राय ने इसे सरकार की विफलता बताते हुए कहा कि ट्रैफिक के हालात आनियंत्रित हो गए हैं जिन्हें ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने की जवाबदारी है उनकी वीआईपी ड्यूटी लगती है और अब तो वीआईपी का भी एक्सीडेंट हो रहा हैं मंत्री रामविचार नेताम का एक्सीडेंट प्रशासनिक अमले की घोर लापरवाही है “नेताओं की सुरक्षा भगवान भरोसे है। क्या सरकार इसे रोकने के लिए कोई कदम उठाएगी?
अब सवाल उठता है: क्या ये दुर्घटनाएं महज इत्तेफाक हैं, या इसके पीछे कोई छिपी साजिश है? इन घटनाओं ने ठंड में प्रदेश की राजनीति को गरमा दिया है।

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