

हाइवे छोड़ शहर की घनी बस्ती से गुजर रहे भारी वाहन
ओवर लोडिंग: प्रशासन-पुलिस को बड़े हादसे का इंतजार, नो एंट्री का तो कहीं अता पता ही नहीं
सिहोरा
सिहोरा नगर की घनी बस्ती से भारी वाहनों के आवागमन को पूरी तरह खत्म करने के उद्देश से ही बाइपास बनाया गया था। नेशनल हाईवे को छोड़ ओवरलोड ( आयरन और बॉक्साइट, मुरम, रेत) भारी वाहन धड़ल्ले से घनी बस्ती से गुजर रहे है। बेरोकटोक ओवरलोड वाहनों को कोई रोकने वाला नहीं है। भारी वाहनों के लिए नो एंट्री का तो कहीं अता पता ही नहीं है। ऐसा लगता है कि प्रशासन और पुलिस किसी बड़े हादसे के इंतजार में है।
वॉर्ड नंबर 1 मनसकरा से खितौला बाईपास तक (पुराना एनएच 7) करीब ढाई से तीन किलोमीटर में रोड के दोनों तरफ घनी बस्ती बसी हुई है। नेशनल हाईवे का बाईपास बने पांच साल से ऊपर का समय हो गया है लेकिन प्रशासन ने पुराने एनएच 7 जोकि घनी बस्ती का क्षेत्र है, भारी वाहनों के गुजरने को लेकर कोई भी नो एंट्री का नियम लागू नहीं किया। इसमें प्रशासन के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों की भी कम लापरवाही नहीं है।
अस्पताल रोड, बस स्टैंड में आए दिन लगता है जान
खनिज और दूसरे सामानों से लदे ओवरलोड हाइवा डंपर और ट्रक के चलते आए दिन अस्पताल रोड पुराने और नए बस स्टैंड के साथ खितौला मोड़ तक जगह जगह जाम की स्थिति निर्मित हो जाती है। साप्ताहिक बाजार के दिन तो स्थिति पूरी तरह अराजक हो जाती है। ओवरलोड भारी वाहनों को रोकने के लिए ना तो कहीं पुलिस बल तैनात रहता है और न ही प्रशासनिक अमला।
समय से पहले दम तोड़ रहीं सड़कें, बीमार हो रहे आमजन
ओवरलोड वाहनों की धमाचैकड़ी के कारण न केवल वाहन चालक दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं, बल्कि क्षेत्र की सड़क भी समय पूर्व दम तोड़ रही हैं। नगर पालिका क्षेत्र में विकसित हो रही नवीन बसाहट हेतु प्रतिदिन सैकड़ो डंपर मुरुम का परिवहन सघन बसाहट वाले क्षेत्रों में किया जा रहा है। जिसके चलते नगर की आंतरिक सड़क भी अत्यधिक भार होने के कारण दम तोड़ रहे हैं।

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