

बिलासपुर। शहर के 69 साल पुराने खपर गंज स्कूल भवन की जर्जर स्थिति और प्रशासन की लापरवाही के चलते बच्चों की जान खतरे में है। आठ साल पहले इसे डिस्मेंटल करने लायक मानते हुए तालाबंद कर दिया गया था और यहां संचालित स्कूलों को लाला लाजपत राय स्कूल में शिफ्ट कर दिया गया था। जब इस भवन को स्वामी आत्मानंद स्कूल बनाने का ऐलान हुआ, तो फिर से यहां स्कूल शिफ्ट कर दिए गए। इसके बावजूद खपर गंज स्कूल भवन की 16.10 लाख रुपये में रंगाई-पुताई कर दी गई, जबकि भवन की जर्जर स्थिति बरकरार है।
इस खपर गंज स्कूल में अब अलग-अलग 6 स्कूल संचालित हो रहे हैं, जहां करीब 50 छात्र और शिक्षक दिनभर बैठते हैं। नगर निगम के जिम्मेदार इंजीनियरों का कहना है कि हाई कोर्ट के आदेश पर जर्जर स्कूल की रंगाई-पुताई की गई है। यह स्थिति तब है जब स्कूल शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने किसी भी जर्जर जगह पर बच्चों को न बैठाने के निर्देश दिए हैं। खपर गंज स्थित पुत्री शाला भवन में पांच स्कूल संचालित हो रहे हैं, जिनमें खपर गंज प्राइमरी, मिडिल, खपर गंज प्राइमरी उर्दू, और अन्य 12 प्राइमरी व मिडिल स्कूल शामिल हैं। जर्जर स्थिति को देखते हुए इस वर्ष कांति कुमार स्कूल का संचालन बंद कर दिया गया।
आम आदमी पार्टी की पूर्व विधानसभा प्रत्याशी डॉ. उज्वला कराड़े ने इस स्थिति पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, “16 लाख का उपयोग नए स्कूल भवन निर्माण के लिए किया जा सकता था, लेकिन इसे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया गया। भाजपा केवल ऑनलाइन ‘मन की बात’ कर रही है, लेकिन धरातल पर केवल भ्रष्टाचार दिख रहा है।”
यह जांच का विषय है कि कंडम भवन घोषित होने के बाद उस भवन को पुनः स्कूल भवन लगाने के लिए अनुमति कैसे दी गई। यह एक संवेदनशील विषय है और सरकार के शिक्षा के नाम पर केवल दावे करने की पोल खोलता है। स्कूलों में बच्चों की हाजिरी कम होना इस बात का प्रमाण है कि सरकार की कथनी और करनी में अंतर है।
स्थिति इतनी गंभीर है कि बच्चों की जान खतरे में है, लेकिन अधिकारी सुनने को तैयार नहीं हैं। जर्जर स्कूल भवन में पढ़ाई जारी रखने से बच्चों की सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है। इस मामले में शासन और प्रशासन को त्वरित और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि बच्चों की जान बचाई जा सके और शिक्षा का स्तर सुधारा जा सके।

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