

आषाढ़ माह बीतने को बारिश नहीं होने से संकट मंे अन्नदाता
रूठा मानसून : रोपणी तैयार खडी बारिश नहीं होने से खेत पडे खाली, पिछले साल ही अपेक्षा कम बारिश होने से बढने लगी चिंता
सिहोरा
इस बार रुठे मानसून ने सिहोरा ब्लाॅक में खरीफ की बोवनी का गणित बिगाड़ दिया है। इससे न सिर्फ बीज खराब हो रहे हैं, बल्कि किसानों मेहनत पर पानी फिर रहा है। आधे आषाढ़ माह तक होने वाली बारिश का आंकड़ा भी पिछले साल से काफी कम है। सिहोरा तहसील में पिछले साल से इस बार कम बारिश हुई है जो कि फसलों के हिसाब से नाकाफी है। 8 जुलाई तक सिहोरा तहसील में 269.4 मिमी. (10.77 मिलीमीटर) बारिश हुई है, जो पिछले वर्ष से कम है।
खुद के साधनों में रोपा में सींज रहे पानी
बारिश न होने से फसलें खराब होने के कारण किसानों का रूटीन बिगड़ गया है। हर दिन खराब हो रही फसलों को देखकर दुखी होने वाले किसान अब रबी की फसल की तर्ज पर उसकी सिंचाई कर रहे हैं। खेत खराब न हो और बीज न बिगड़े इसके लिए वे उपज को पानी देने में लगे हुए हैं। तहसील के कई गांवों में ऐसे हालात बन रहे हैं। हालांकि ज्यादा जमीन वाले किसान भी ये नहीं कर पा रहे हैं और न ही वे लोग भी यह कर पा रहे जिनके पास सीमित संसाधन है। किसान हर तरह के जतन कर फसल को बचाने में लगा हुआ ताकि मेहनत पर पानी न फिरे। हालांकि किसान ओम प्रकाष पटेल, बृजमोहन यादव, राजकुमार तिवारी, जितेंद्र ठाकुर, अषोक ठाकुर का कहना है कि यदि आगामी दो चार दिनों में यदि बारिश नही हुई तो फिर और संकट खड़ा हो जाएगा।
बिजली भी बन रही समस्या
किसानों ने बताया कि धान की नर्सरी रोपणी के लिए तैयार हो चुकी है। रोपणी कार्य के लिए बारिश की नितांत आवश्यकता है, क्योंकि बिजली की भी समस्या विकट है। कृषि कार्य के लिए 10 घंटे बिजली देने का प्रावधान है, लेकिन विद्युत विभाग दो शिफ्ट में बिजली दे रहा है, जिससे जो सिंचाई के लिए पानी छोड़ा जाता है वह घंटेभर में जमीन में समा जाता है। यदि 10 घंटे रेग्युलर बिजली मिले तो कुछ हद तक रोपणी कार्य हो सकता है वहीं जिन किसानों रोपणी कार्य कर दिया है उसे पानी की नितांत आवश्यकता है। पानी न मिलने की स्थिति मे पौधे की ग्रोथ कमजोर होगी, उत्पादन प्रभावित होगा।
पांच सालों में 8 जुलाई तक बारिश
वर्ष बारिश (मिमी)
20-21 283 मिमी
21-22 201 मिमी
22-23 225.8 मिमी
23-24 368.6 मिमी
24-25 269.4 मिमी

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