

लोकसभा चुनाव में सिहोरा में छाई नीरसता,
स्टार प्रचारकों से दूर रखा है सिहोरा को

सिहोरा –
लोकसभा चुनाव में जबलपुर लोकसभा क्षेत्र के चुनाव होने को अब कुछ ही दिन शेष हैं। पूरे देश में पार्टियां जहां अपनी ताकत जीत के लिए लगा रही हैं वहीं सिहोरा में मुख्य पार्टियों कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही दूरियां बना रखी है । सिहोरा का माहौल देखकर लगता ही नहीं कि यहां दस दिन बाद चुनाव है।जानकार मानते हैं कि इसकी एक वजह विधानसभा चुनाव के पहले भारतीय जनता पार्टी के द्वारा अपने स्टार प्रचारको से सिहोरा जिला की घोषणा कराकर इस दिशा में कुछ भी नही करना है। वहीं कांग्रेस के अधिकांश नेता भाजपा का दामन थाम चुके हैं जिसके कारण यहां कार्यकर्ताओं का भी अभाव बना हुआ है।
विधानसभा में किए वादे अब क्या कहें –
पुराने इतिहास को देखें तो विधानसभा चुनाव के पहले सिहोरा में सिहोरा को जिला बनाए जाने का आंदोलन विगत 2 वर्षों से जारी रहा। कांग्रेस ने इसे अपने चुनावी घोषणा पत्र में मुख्य मुद्दा बनाते हुए विधानसभा चुनाव लड़ा परंतु मिली हार के बाद इस मुद्दे को जोर शोर से उठाने वाली कांग्रेस प्रत्याशी रही एकता ठाकुर भाजपा में शामिल हो गई।भाजपा के सामने समस्या यह है कि विधानसभा में जीत के लिए उसने चुनाव के पूर्व जिला की घोषणा तो करवा दी पर चुनाव जीतने के बाद इस मुद्दे पर चुप्पी बनाए रखी। विदित हो कि 8 सितंबर 2023 को तत्कालीन केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल और 15 नवंबर 2023 को भाजपा की स्टार विचारक और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने सार्वजनिक मंच से सिहोरा को जिला बनाए जाने की वकालत कर विधानसभा में वोट मांगे। वहीं 16 नवंबर 2023 को तत्कालीन प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सिहोरा जिला आंदोलनकारियों से फोन पर बात कर सिहोरा को जिला बनाए जाने का वादा किया। अब जबकि भाजपा विधानसभा चुनाव में जनता से वादे कर चुकी है तो अब उसके सामने यह समस्या है कि इस दौरान विधानसभा में सरकार बनने और लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के मध्य किसी भी जिम्मेदार नेता ने सिहोरा की जनता से सिहोरा जिला के संबंध में किसी प्रकार का कोई वक्तव्य जारी नहीं किया ।जानकार मानते हैं कि यही वजह है कि भाजपा का कोई भी नया स्टार प्रचारक अब सिहोरा में आकर सभा करना नहीं चाहता ।भाजपा इस शांत पड़े माहौल को समझती है और किसी भी तरह कोई रिस्क लेना नहीं चाहती ।वहीं कांग्रेस की प्रत्याशी रही एकता ठाकुर ने भी कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा को पकड़ लिया जिससे अब सिहोरा में सिहोरा जिला की बात उठाने वाला कोई राजनेता बचा नही है।
सिर्फ सुरक्षित क्षेत्र है सिहोरा-
सिहोरा के अधिकांश नागरिकों का मानना है कि भाजपा की नजर में सिहोरा एक सुरक्षित वोट बैंक के अलावा कोई महत्व नहीं रखता है। सिहोरा के संपूर्ण क्षेत्र की लगातार उपेक्षा इसका प्रमाण है।
खैर लोकतंत्र के इस यज्ञ में सिहोरा वासी पूर्व की भांति अपनी आहुति तो बढ़ चढ़कर देंगे ही पर यह बात उनके मन में जरुर एक टीस बनी रहेगी कि काश सिहोरा क्षेत्र में भी कोई ऐसा दमदार नेता होता जो सिहोरा के लिए भी सोचता।

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