

आज से शुरू होगी गुप्त नवरात्रि:
देवी दुर्गा की पूजा के साथ ध्यान भी करेंगे तो मन होगा शांत और दूर होंगे नकारात्मक विचार….. डॉक्टर चंद्रशेखर शास्त्री जी महाराज

जबलपुर
आज 10 फरवरी से माघ मास की गुप्त नवरात्रि शुरू हो रही है। हिन्दी वर्ष में चार बार नवरात्रि मनाई जाती है। चैत्र-आश्विन सामान्य और माघ-आषाढ़ में गुप्त नवरात्रि आती है। गुप्त नवरात्रि में देवी दुर्गा की दस महाविद्याओं के लिए साधानाएं खासतौर पर की जाती हैं। इन दिनों में पूजा-पाठ के साथ ही ध्यान भी करना चाहिए ज्योतिषाचार्य डॉक्टर चंद्रशेखर शास्त्री जी महाराज के मुताबिक, साल की चारों नवरात्रियां ऋतुओं के संधिकाल में आती हैं। जैसे माघ मास के नवरात्रि ठंड के जाने और गर्मी के आने का समय में आती हैं। इस समय शीत ऋतु खत्म हो रही है और बसंत ऋतु की शुरुआत होने वाली है। चैत्र मास की नवरात्रि के समय बसंत ऋतु खत्म होती है और ग्रीष्म ऋतु शुरू होती है। आषाढ़ मास की नवरात्रि के समय ग्रीष्म ऋतु खत्म होती है और वर्षा ऋतु शुरू होती है। आश्विन नवरात्रि के समय वर्षा ऋतु खत्म होती है और शीत ऋतु शुरू होती है।
गुप्त नवरात्रि में ध्यान रखने योग्य बातें
ज्योतिषाचार्य डॉक्टर चंद्रशेखर शास्त्री जी महाराज ने कहा कि दस महाविद्याओं की साधनाएं पूरे नियमों के साथ ही की जानी चाहिए। अगर छोटी सी भी लापरवाही होती है तो साधनाएं निष्फल हो जाती हैं और पूजा का विपरीत असर हो सकता है।
माघ मास के नवरात्रि में सेहत संबंधी लाभ पाने के लिए रोज सुबह जल्दी उठें और मेडिटेशन जरूर करना चाहिए।
ध्यान करने से मन शांत होता है और नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिलती है। मंत्र जाप करने से एकाग्रता बढ़ती है। एकाग्रता से किसी भी काम को हम बेहतर तरीके से कर पाते हैं और सफलता मिलने की संभावनाएं काफी बढ़ जाती हैं।
ऐसे कर सकते हैं मंत्रों का जप
सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद घर के मंदिर में पूजा की व्यवस्था करें। गणेश जी के साथ ही अपने इष्टदेव को जल अर्पित करें। वस्त्र, हार-फूल आदि अर्पित करें। भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। दीपक जलाने के बाद अपने इष्टदेव के मंत्रों का जाप कम से कम 108 बार करें। पूजा के अंत में जानी-अनजानी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें। मंत्र जाप के बाद प्रसाद वितरित करें और खुद भी ग्रहण करें।
ये है ध्यान करने की विधि
किसी शांत और साफ जगह पर आसन बिछाकर बैठ जाएं। आंखें बंद करके मन को शांत करें और दोनों आंखों के बीच आज्ञा चक्र पर ध्यान लगाएं। सांस लेने और छोड़ने की गति सामन्य रखें। इस दौरान मन में कोई विचार नहीं होना चाहिए। नियमित रूप से ध्यान करने से मन एकाग्र होने लगता है और अशांति दूर होती है।
गुप्त नवरात्रि में साधना
प्रत्यक्ष नवरात्रि में मां भगवती की पूजा जहां माता के ममत्व के रूप में की जाती है तो वहीं गुप्त नवरात्रि में देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा शक्ति रूप में की जाती है. मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में देवी साधना किसी को बता कर नहीं की जाती है. इसलिए इस नवरात्रि का नाम ही गुप्त दिया गया है. गुप्त नवरात्रि के दौरान नौ दिनों तक गुप्त अनुष्ठान किये जाते हैं. इन दिनों देवी दुर्गा के दस रूपों (महाविद्या) की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस नवरात्रि में देवी साधना से शीघ्र प्रसन्न् होती हैं और मनोवांछित फल प्रदान करती हैं. जितनी अधिक गोपनीयता इस साधना की होगी उसका फल भी उतनी ही जल्दी मिलेगा.
देवी के मां कालिके, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी देवी, भुनेश्वरी देवी, मां धूम्रावती, बगलामुखी माता, मातंगी माता और देवी कमला की गुप्त नवरात्रि में पूजा की जाती है. मंत्र जाप, श्री दुर्गा सप्तशती, हवन के द्वारा इन दिनों देवी साधना करते हैं. यदि आप हवन आदि कर्मकांड करने में असहज हों तो नौ दिन का किसी भी तरह का संकल्प जैसे सवा लाख मंत्रों का जाप कर अनुष्ठान कर सकते हैं. या फिर राम रक्षा स्त्रोत, देवी भागवत आदि का नौ दिन का संकल्प लेकर पाठ कर सकते हैं. अखंड ज्योति जलाकर साधना करने से भी माता प्रसन्न होती हैं.
पूजा सामग्री: मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र, सिंदूर, केसर, कपूर, जौ, धूप,वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, सुगंधित तेल, बंदनवार आम के पत्तों का, लाल पुष्प, दूर्वा, मेंहदी, बिंदी, सुपारी साबुत, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, पटरा, आसन, चौकी, रोली, मौली, पुष्पहार, बेलपत्र, कमलगट्टा, जौ, बंदनवार, दीपक, दीपबत्ती, नैवेद्य, मधु, शक्कर, पंचमेवा, जायफल, जावित्री, नारियल, आसन, रेत, मिट्टी, पान, लौंग, इलायची, कलश मिट्टी या पीतल का, हवन सामग्री, पूजन के लिए थाली, श्वेत वस्त्र, दूध, दही, ऋतुफल, सरसों सफेद और पीली, गंगाजल आदि.
मां दुर्गा की ऐसे करें पूजा
गुप्त नवरात्रि के दौरान तांत्रिक और अघोरी मां दुर्गा की आधी रात में पूजा करते हैं. मां दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित कर लाल रंग का सिंदूर और सुनहरे गोटे वाली चुनरी अर्पित की जाती है. इसके बाद मां के चरणों में पूजा सामग्री को अर्पित किया जाता है. मां दुर्गा को लाल पुष्प चढ़ाना शुभ माना जाता है. सरसों के तेल से दीपक जलाकर ‘ॐ दुं दुर्गायै नमः’ मंत्र का जाप करना चाहिए.
गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा को इन चीजों का लगाएं भोग
प्रतिपदा – रोगमुक्त रहने के लिए प्रतिपदा तिथि के दिन मां शैलपुत्री को गाय के घी से बनी सफेद चीजों का भोग लगाएं.
द्वितीया – लंबी उम्र के लिए द्वितीया तिथि को मां ब्रह्मचारिणी को मिश्री, चीनी और पंचामृत का भोग लगाएं.
तृतीया – दुख से मुक्ति के लिए तृतीया तिथि पर मां चंद्रघंटा को दूध और उससे बनी चीजों का भोग लगाएं.
चतुर्थी – तेज बुद्धि और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाने के लिए चतुर्थी तिथि पर मां कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाएं.
पंचमी – स्वस्थ शरीर के लिए मां स्कंदमाता को केले का भोग लगाएं.
षष्ठी – आकर्षक व्यक्तित्व और सुंदरता पाने के लिए षष्ठी तिथि के दिन मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाएं।
सप्तमी – संकटों से बचने के लिए सप्तमी के दिन मां कालरात्रि की पूजा में गुड़ का नैवेद्य अर्पित करें.
अष्टमी – संतान संबंधी समस्या से छुटकारा पाने के लिए अष्टमी तिथि पर मां महागौरी को नारियल का भोग लगाएं.
नवमी – सुख-समृद्धि के लिए नवमी पर मां सिद्धिदात्री को हलवा, चना-पूरी, खीर आदि का भोग लगाएं.

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