

थमे बसों के पहिए, बस स्टैंड से बैरंग लौटी सवारी
नए कानून का विरोध: मझौली में डीजल से भरा टैंकर रोककर सडक पर लगाया जाम, एक दर्जन रूटों पर नहीं चली बसें

सिहोरा/मझौली
नये साल के पहले ही दिन सोमवार को नए कानून के विरोध और डीजल के अभाव में सिहोरा और मझौली में लगभग 100 से अधिक बसों के पहिए थमे रहे। सुबह सफर के लिए घर से निकलकर बस स्टैंड पहुंची सवारियों को बैरंग घर वापस लौटना पड़ा। वहीं मझौली बस स्टैंड में चालकांे ने डीजल से भरे टैंकर को रोककर जाम लगा दिया। चालकांे ने प्रषासन ने खिलाफ जमकर नारेबाजी की। सिहोरा के नए और पुराने बस स्टैंड से एक भी बस अपने रूट पर नहीं चली। जिसका असर यह रहा कि नए स्टैंड के अंदर बसों का जमावड़ा लगा रहा। यहां तक कि डीजल एवं चालकों के अभाव में एक भी बस अपने रूट पर नहीं चली। सूत्रों की मानें तो जिनके वाहनों में पर्याप्त डीजल था, उन्होंने भी नए कानून के विरोध में दबे पांव हड़ताली चालकों का समर्थन किया और बसों का संचालन पूरी तरह से बंद रखा।
चालकों ने रोका डीजल का टैंकर, रास्ता किया जाम
काले कानून के विरोध में मझौली में बस चालकांे ने बस स्टैंड मंे डीजल से भरे टैंकर को रास्ते मंे रोककर जाम लगा दिया। सैकडों की संख्या में चालक सडक को जाम कर धरने पर बैठ गए। चालक-परिचलकों ने काला कानून वापस लो, चालक एकता जिन्दाबाद के नारे लगाए। करीब एक घंटे तक मझौली-कटंगी, मझौली कटाव मार्ग बंद रहा। जाम लगने की खबर लगते ही पुलिस और प्रशासन का अमला मौके पर पहुंचकर चालकों को समझाया, तक कहीं जाकर जाम खुला।
इन रूटों पर नहीं चली बसें
सिहोरा से जबलपुर, कटनी, पान उमरिया, ढीमरखेडा, सिलोंडी, बघराजी, कुंडम, बहोरीबंद, बचैया, मझौली, कटंगी, बांदकपुर, सागर, दमोह रूट के लिए करीब 80 से अधिक बसें नए बस स्टैंड में खडी रहीं। चालकों की हडताल के कारण पुराना बस स्टैंड पूरी तरह सूना नजर आया। बसों के नहीं चलने से सबसे ज्यादा परेशानी ग्रामीण क्षेत्र के यात्रियों को उठानी पडी।

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