

सीता कौशल की कलम से
जांजगीर। भारी वाहनों के लिए एक नया कानून बनाया गया है जिसमें उन्हें दूर्घटना करके भागने पर जुर्माना और सजा है ।

दस साल की कैद और पांच लाख जुर्माना। पूरे भारत में चार पहिया भारी वाहनों की हड़ताल चल रही है और सबसे बड़ी बात की ये वाहन चालक फेसबुक में इसका विरोध इस अंदाज में कर रहे हैं कि लोग धीरे-धीरे इनके साथ जुड़ रहे हैं। जैसे ही आप फेसबुक या अन्य सोशल मीडिया खोलते हैं एक से एक जोशीले गीतों के साथ इस कानून का विरोध किया जा रहा है भारी वाहन जहां खड़े हैं वहीं खड़े हैं और धीरे-धीरे रोजमर्रा की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव डाल रहे हैं और अगर यह हड़ताल लंबी चली तो इसका प्रभाव भी गहरा पड़ेगा । वाहन चालकों का कहना है कि हमें महीने में एकमुश्त दस बारह हजार से ज्यादा नहीं मिलता है और न ही कोई बीमा , पेंशन आदि सुविधाएं हैं तो हमें यह तकलीफ़ में डालने वाले कानून क्यों ? उनका यह भी कहना है कि अगर हम पर यह कानून थोपना है तो हमारी तनख्वाह बढ़ा दी जाये और हमें कुछ होता है तो हमारे परिवार को शासन सहायता राशि दे और अगर हम गाड़ी चलाने योग्य नहीं रहे तो हमें शासन पेंशन भी दे । उनका यह भी कहना है कि उनके द्वारा एक बिल्ली जैसे छोटे जानवर को बचाने का प्रयास किया जाता है पर अगर दूर्घटना हो जाती है तो हम भाग कर अपनी जान न बचायें तो क्या करें क्या दूर्घटना के बाद वहां रूकने पर हमें लोग ज़िंदा छोड़ेंगे । आइये कुछ घटनाओं पर नजर डालते हैं।
1. दो साल पहले जांजगीर जिले के किसी गांव में धान काटने वाली मशीन किसी के खेत में आयी थी धान काटा जा रहा था। बच्चे हमेशा की तरह खेत में सीला (धान काटने के बाद खेतों में गिरे कुछ अंश को सीला कहा जाता है ) एक बच्चा मशीन के पीछे था और जब मशीन ने पीछे बैक किया बच्चा दबकर मर गया।इस घटनाक्रम के बाद वाहन चालक भाग गया लेकिन हेल्पर को लोगों ने इतना मारा कि उसकी मौत हो गई।
2. बिर्रा थाना क्षेत्र अंतर्गत तालदेवरी नामक गांव में चौराहे पर एक दूर्घटना हुई दो लोग तुरंत मर गये उसके बाद दूर्घटना करने वाले वाहन चालक को लोगों ने इतना मारा कि दो लोग मारे गये । आज भी उस चौराहे पर दूर्घटना होती है और मारने वाले लोगों पर मुकदमा चल रहा है ।
ऐसी अनेक घटनाएं होती हैं जहां दूर्घटना होने पर वाहन चालक को पीटा जाता है। उस समय लोगों का गुस्सा इतना होता है कि प्रशासन भी कुछ नहीं कर पाता है
इसके साथ ही कुछ घटनाओं में वाहन चालकों की जान भी जाती है और ये वाहन चालक अक्सर दूसरे राज्यों के होते हैं और वाहन मालिक दो से तीन लाख देकर मामला रफा-दफा कर देते हैं और परिवार कुछ नहीं कर पाता है । कुछ माह पूर्व अकलतरा के तरौद में एक हाइवा चालक 100 फीट नीचे क्रशर खदान से पत्थर छोड़कर वापस आ रहा था। संतुलन बिगड़ने पर हाइवा सहित गिरा और उसकी मौत हो गई मालिक ने परिवार को दो लाख रुपए दिए। दो लाख कर्ज उतारने में खत्म हो गया और परिवार फिर तकलीफ़ में है । हिट एंड रन मामले में कानून बनाने के पहले दूर्घटना के कारणो और निदान पर चर्चा जरूरी है

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