

ध्रुव ने पांच वर्ष की अल्पायु में ही भगवान को पा लिया था : पं. इंद्रमणि त्रिपाठी

श्री शिव मंदिर बाबाताल में संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा
सिहोरा
श्री शिव मंदिर बाबाताल में चल रही संगीत में श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस मंगलवार कथावाचक पंडित इंद्रमणि त्रिपाठी श्री शिव चरित्र और ध्रुव चरित्र की कथा सुनाई। कथा व्यास पंडित इंद्रमणि त्रिपाठी ने ध्रुव चरित्र की कथा सुनाते हुए कहा कि भगवान की प्राप्ति और भजन की कोई उम्र नहीं होती। ध्रुव ने पांच वर्ष की अल्पायु में भगवान को प्राप्त कर लिया था। अधम से अधम जीव का भी भगवान का नाम उद्धार कर देता है। भगवान श्री राम का चरित्र सुने बिना श्री कृष्ण के चरित्र को सुनने की पात्रता नहीं होती। इसलिए भागवत में पहले रामचरित्र फिर बाद में श्री कृष्ण का चरित्र कहा गया है।
उन्होंने कहा कि भगवान शिव का स्वरूप लोक कल्याणकारी है। भगवान शिव के त्रिशूल का दर्शन करने से प्राणी के तीनों प्रकार के शूल नष्ट हो जाते हैं। दैहिक, देविक तथा भौतिक संताप शिव भक्तों को छू भी नहीं सकते। भगवान शिव के हाथ में सुशोभित डमरू के नाद से ही वेदों की ऋचाएं, संगीत के सातों स्वर व्याकरण के सूत्रों का सृजन हुआ है। भगवान शिव के भव्य भाल पर सुशोभित गंगा त्रेलोक्य को पवित्र तथा पावन बनाती है। भक्त सच्चा हो तो विपरीत परिस्थितियों में भी उसे भगवान की भक्ति से विमुख नहीं कर सकती। बुधवार को प्रहलाद चरित्र श्री वामन अवतार की कथा होगी।

विज्ञापन के लिए संपर्क करें मोबाइल नंबर 8819052418