

स्वयं मे सकारात्मक परिवर्तन लाने वालो को परमात्मा का आशीष मिलता है
विवेक देशमुख
बिलासपुर। प्रभु दर्शन भवन टिकरापारा में श्रीमद् भगवद्गीता पर प्रवचन चल रहा है। नवें अध्याय के ग्यारहवें श्लोक मे परमात्मा ने स्पष्ट किया है कि मै सृष्टि मे बूढे तन का आधार लेकर अवतरित होता हू पर अज्ञानवश मनुष्य मुझ भूतमहेश्वर को पहचान नही पाते। दीदी ने स्पष्ट किया कि भूतमहेश्वर निराकार परमात्मा शिव ही है। जिस बूढे तन की बात लिखी गई है वह ब्रह्मा है। ब्रह्मा का आदिदेव, आदम, ऐडम, मनु इत्यादि नामों का वर्णन विभिन्न धर्म शास्त्रो मे है। वर्तमान समय परमात्मा को यथार्थ रूप मे पहचानना ही बडे सौभाग्य की बात है। परमात्मा यह भी कहते है कि एक कल्प के अंत मे सभी मनुष्य आत्माएं मेरे पास चले आते है, सतयुग आने पर मै उन्हे पुनः प्रकट कर देता हू। दीदी ने स्पष्ट किया है कि वर्तमान कलयुगी सृष्टि के परिवर्तन के समय सभी आत्माए परमधाम जो कि परमात्मा और आत्माओं के रहने का स्थान है वहा वापस लौटेगी फिर सतयुग से आत्माओं का क्रमवार समय अनुसार सृष्टि पर आना शुरू होगा। इसलिए परमात्मा के प्यार का अनुभव करने और श्रेष्ठ भाग्य बनाने का समय वर्तमान संगमयुग है। परमात्मा के महावाक्य पर चिंतन करते कहा कि कर्म के गुह्य गति को न समझने के कारण क्षणिक आवेग मे जीवघात(आत्महत्या) कर लेते है।जबकि आत्मा को पुनर्जन्म मे आना ही है।
राजयोग से आंतरिक शक्तियों का विकास होने से हताशा पर सहज विजय पा सकते है। आगे कहा कि ज्ञान के आधार पर स्वयं मे परिवर्तन करने वालों को परमात्मा की विशेष बधाई मिलती है। परमात्मा के अवतरण की बेला मे जो हो रहा है अच्छा हो रहा है और जो होगा वह और भी अच्छा होगा। इस दृढ़ निश्चय से बोझ से मुक्त हलके रह सकेंगे।

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