
“नदी किनारे घोंघा प्यासा’ हिरन नदी सप्ताह भर से सूखी


नहीं जागा प्रशासन : हिरण के किनारे बसे गांव में गहराया जल संकट
सिहोरा
नदी किनारे घोंघा प्यासा’ कहावत हर किसी ने सुनी होगी। ऐसा ही कुछ हाल वर्तमान में हिरन नदी का है। घाट सिमरिया के दोनों ओर बसे गांव से बहने वाली वा गांव में जल स्तर को बनाए रखने वाली हिरन नदी पूरी तरह सूख चुकी है व रेगिस्तान की शक्ल में नजर आ रही है। हिरन नदी के तट पर बसे गांव व नगर बीते कई वर्षों से गर्मियों में प्यासे रहते है। कम बारिश और नीचे जाता जलस्तर ग्रामीण क्षेत्रों से लगे लगभग दो दर्जन गांवों वा सिहोरा, खितौला के हजारों आबादी को जलसंकट परेशान कर रहा है।
सबसे बड़ी बात यह है कि जिला प्रशासन लोगों के घरों तक नर्मदा जल पहुंचाने के लिए जोरों से दंभ भरता है, लेकिन वर्तमान में हिरन नदी जल विहीन हो जाने से जहां गांवों में जल संकट को लेकर हाहाकार मच रही है वहीं हिरन नदी से लगे कई क्षेत्र पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। गांवों में स्थिति बिगड़ती जा रही है उसके बाद भी प्रशासनिक अमला उस पर ध्यान नहीं दे रहा है। दूसरी छोटी नदियों का तो जैसे अस्तित्व ही मिटता जा रहा है। हिरन नदी को सूखे लगभग एक सप्ताह से अधिक का समय व्यतीत हो गया है किन्तु संबंधित विभाग वा प्रशासनिक अधिकारी हाथ पर हाथ रखे बैठ कर मूकदर्शक बने हुए हैं।
बरगी दायीं तट नहर से पानी नहीं छोड़ा जा रहा
पिछले वर्ष बनी थी ऐसी ही स्थिति गत वर्ष मई माह में पड़ी भीषण गर्मी के चलते हिरन नदी पूरी तरह सूख गई थी। जिससे आसपास के ग्रामों में पीने के पानी के लिए हाहाकार मच गया था।गत वर्ष मई माह के प्रथम सप्ताह में बरगी दायीं तट नहर से पानी हिरन में छोड़ा गया था ।किंतु लगभग एक सप्ताह से अधिक समय से अप्रेल के मध्य में ही हिरन नदी की धार टूट चुकी है। हिरन नदी में नहर का पानी नही आने से हिरन नदी के कई स्थानों पर रेगिस्तान की शक्ल में नजर आ रहे हैं।
इन ग्रामों में पानी की समस्या
एक सप्ताह से अधिक समय से समस्या जटिलता की ओर बढ़ गई है।हिरन नदी के किनारे व आसपास के ग्रामों में तपा, खुड़ावल, कैलवास,उमरिया, खिन्नी, कैथरा,चन्नौटा, मल्हना,कूड़ा, कंजई, घाटसिमरिया, मोहतरा,ताला,देवरी,शहजपुरा पानी का जलस्तर क्रमशः कम होता जा रहा है कई ग्रामों में हेण्डपम्प बन्द होने लगे हैं।

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