

बुढानसागर तालाब पहुंची वैज्ञानिकों की टीम, सिंघाड़ा उत्पादक किसानों का झलका दर्द
अज्ञात बीमारी के बारे में बताया, पिछले दो-तीन वर्षों से लगातार किसानों को उठाना पड़ रहा है नुकसान
सिहोरा
मध्यप्रदेश के भीतर सिहोरा तहसील मे सिंघाड़े का उत्पादन अत्यधिक मात्रा में पैदावार होती है। यहां का सिंघाड़ा देश विदेश में सप्लाई किया जाता है। बड़ी मात्रा में यहां का बर्मन समाज सिंघाड़ा की खेती करता हैं, परंतु पिछले दो-तीन वर्षों से सिंघाड़े में अज्ञात बीमारी लाल रोग लगने के कारण सिंघाड़ा की खेती करने वाले किसान लगातार नुकसान उठा रहे हैं।
शिकायत को संज्ञान में लेते हुए जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर से पांच वैज्ञानिकों की टीम बुढनसागर तालाब पहुंचकर सिंघाड़ा में लगने वाली अज्ञात बीमारी का सुक्षमता से परीक्षण कर बीमारी की गिरफ्त में आए सिंघाड़ा की बोल का सैंपल एकत्र कर एग्रीकल्चर कॉलेज की प्रयोगशाला मे जांच करने हेतु ले गए। वहीं वैज्ञानिको ने इस मौके पर उपस्थित सिंघाड़ा उत्पादक किसानों को अनेक उपचार विधि व सिंघाडा की खेती करने के तौर तरीके बताए गये।
अज्ञात रोग के कारण सिंघाड़ा उत्पादक किसानों को उठाना पड़ रहा नुकसान
गांधीग्राम एवं उसके आसपास के बर्मन समाज के लोग बहुतायत मात्रा में सिंघाड़ा की खेती तालाबों में करते हैं, पिछले कुछ वर्षों में लगातार सिंघाड़े की खेती में अज्ञात रोग लग रहा है जिसके कारण सिंघाड़ा उत्पादक किसानों को सिंघाड़े की खेती में लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा है।
वैज्ञानिकों के सामने छलका किसानों का दर्द
जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय की टीम जब बुढ़ान सागर तालाब में सिंघाड़े में लगने वाली अज्ञात बीमारी की जांच करने पहुंचे तो सिंघाड़ा उत्पादक किसानों का दर्द छलक उठा। किसानों ने वैज्ञानिकों को बताया किस सिंघाड़े में अज्ञात बीमारी से उनकी फसल बुरी तरह प्रभावित हो रही है। स्थिति यह है कि लागत निकालना मुश्किल हो रहा है। जिसके चलते कई किसानों ने सिंघाड़े की खेती करना ही अब बंद कर दिया है।

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