

एक सौ वर्ष पुराने वट वृक्ष के नीचे हो रही श्रीमद्भागवत कथा।
श्रीकृष्ण जन्म पर वसुदेव ने बालकृष्ण को टोकनी में रख नगर भ्रमण किया।
सिहोरा
ग्राम देवरी ,अंमगवां में एक सौ वर्ष पुराने शतायु पूर्ण कर चुके विशाल वटवृक्ष के नीचे श्रीमद्भागवत पुराण का शुभायोजन किया गया है।गर्मी में शीतलता प्रदान करने वाले इस वट वृक्ष के नीचे कथा श्रवण करने के लिए दूरदराज के ग्रामों से लोग बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं।गुरुवार को पौराणिक रमाकांत के सानिध्य में भगवान श्री कृष्ण की जन्म की कथा का जीवंत प्रस्तुतीकरण पात्रों के साथ किया गया जिसका श्रद्धालु भक्तों, दर्शकों ने भरपूर आनंद लिया । हनुमान मंदिर से वासुदेव के पात्र ने पीत वस्त्र धारण किए हुए बाल श्री कृष्ण की अपनी टोकरी में रखकर गाजे बाजे के साथ विशाल धार्मिक जुलूस के साथ निकले व वट वृक्ष की परिक्रमा की साथ में भारी मात्रा में ग्रामवासी एकत्रित हुए। श्रीकृष्ण के जन्म होते ही भागवत कथा में भक्त खुशी से झूम उठे। बधाई गीत गाए गए और नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की… जैसे जयकारे भी लगे। श्रीमद् भागवत कथा में कथा प्रवचनकर्ता पौराणिक रमाकांत महाराज ने श्रीकृष्ण के जन्म की कथा सुनाई। उन्होंने नंद बाबा के घर कृष्ण जन्मोत्सव की खुशियों को भी जीवंत रूप में सुनाया। जब बालक कृष्ण को सुसज्जित टोकनी में जैसे ही उठाया दर्शक महिला उठकर नाचने लगी।
कृष्ण जन्मोत्सव के मौके पर भक्तों ने बाल-कृष्ण को माखन मिश्री का भोग लगाया। साथ ही मंगल गीत गाकर नृत्य भी किया। इस मौक पर पौराणिक रमाकांत ने आगे कहा कि दुष्ट राजा कंस को मारने के लिए ही प्रभु विष्णु ने श्रीकृष्ण अवतार के रूप में जन्म लिया।कथा व्यास ने कहा कि जो व्यक्ति भागवत कथा का श्रवण करते-करते सो जाते हैं, उनके कान सांपों के बिलों के समान होते हैं। इस संसार में बंधन और मुक्ति की एक ही चाबी है। मन को ईश्वर की ओर लगाने से मुक्ति मिलती है, और संसार की ओर लगाने से बंधन हो जाता है। ताले लगाने और खोलने की एक ही चाबी होती है, कुछ इसी तरह संसार में बंधन और मुक्ति का दरवाजा भी एक ही होता है। भगवान श्री कृष्ण के बालस्वरूप की आरती आयोजक अनुरुद्ध तिवारी,श्रीमती आशा,हनुमान तिवारी,राजेश तिवारी,छोटू तिवारी,अंजना तिवारी,स्नेहलता द्विवेदी, वन्दना मिश्रा, कल्पना मिश्रा,आशा तिवारी, राज,रितिक आदि ने की।

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