

गुप्त नवरात्र के समापन पर हुई पूजा व भंडारा
नगर की आस्था के केंद्र कंकाली मंदिर में भंडारे का आयोजन
सिहोरा
शक्ति की साधना और आराधना का पवित्र पर्व गुप्त नवरात्रि का विधि-विधान पूजा एवं भंडारा भोग के साथ समाप्त हो गए। इस अवसर पर कंकाली मंदिर सहित अन्य दे वालों में कन्या भोजन एवं भंडारे का आयोजन किया गया। गुप्त नवरात्रि के समापन पर नगर की आस्था के केंद्र कंकाली मंदिर में विशाल भंडारे का आयोजन नगर के प्रतिष्ठित व्यवसाई मधुर दुआ के सौजन्य से किया गया। जिसमें सैकड़ों कन्याओं सहित हजारों भक्तों ने प्रसाद ग्रहण कर पुण्य लाभ अर्जित किया।
पंचांग के अनुसार प्रथम चैत्र मास में पहली वासंतेय नवरात्र, चौथे माह यानी कि आषाढ़ मास में दूसरी नवरात्र, अश्विन माह में तीसरी यानि शारदीय नवरात्र और ग्यारहवें मास यानि माघ मास में चौथी नवरात्रि आती है इसमें से माघ मास में पड़ने वाली नवरात्रि को माघ गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है।
दस महा विधाओं की होती है पूजा
नवरात्रि में जहां देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है वही गुप्त नवरात्र में 10 महाविद्याओं में मां काली, मां तारा देवी, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला देवी की साधना-आराधना की जाती है। गुप्त नवरात्र में शक्ति की साधना को अत्यंत ही गोपनीय रूप में किया जाता है मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि की पूजा को जितने भी गोपनीयता के साथ किया जाता है साधक पर उतनी ज्यादा देवी की कृपा बरसती है।

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