

गांव में प्रतिभाओं का भण्डार पर खेल के मैदान का भाव
खाली खेतों व भूखण्डों में खेलते हैं खिलाड़ी
सिहोरा
शासकीय उमावि गांधीग्राम में सरकार द्वारा आवंटित खेल के मैदान की खसरा नम्बर 1554 की जमीन पर अब व्यवसायिक निर्माण किया जा रहा है।ग्रामवासियों का
आरोप है कि यह सब कुछ भूमाफिया और कुछ रसूखदार राजनीतिक लोगों की वजह से किया जा रहा, क्योंकि उनकी नजरें सरकार द्वारा आवंटित जमीन पर है। लोगों का कहना है कि वर्षों पुराने खेल के मैदान पर व्यवसायिक निर्माण से वहां पर हॉकी, फुटबाल, बॉलीवाल और अन्य खेलों के कोई भी टूर्नामेंट नहीं हो पाएंगे और इससे खिलाडिय़ों के हित प्रभावित होंगे। इस बारे में प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई न होने से लोगों को अतिक्रमण पर प्रशासन की कार्यवाही पर सवालिया निशान लग रहा है।
गांवो में प्रतिभाओ का भंडार
केंद्र सरकार खेलों को बढ़ावा देने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में इसको प्रोत्साहन देने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। लेकिन, खेल मैदान व संसाधनों की कमी से यहां की प्रतिभाएं कुंठित हो रही हैं। बहुत ऐसे खिलाड़ी हैं जिनके अंदर उम्दा प्रदर्शन करने का दमखम दिखाई देता है। लेकिन, आर्थाभाव व संसाधनों के अभाव में उनका प्रदर्शन गांव के खेतों तक ही सिमट कर रह जाता है। खिलाड़ियों का कहना है कि उनकी सबसे बड़ी समस्या खेल मैदान की है। खेल मैदान नहीं रहने के कारण वे अभ्यास नहीं कर पाते है।
खेतों में अभ्यास करते हैं खिलाड़ी
गांधीग्राम सहित आसपास के खिलाड़ी मैदान के अभाव में खेतों में अभ्यास करते हैं। जब खेत खाली हो जाते हैं तब गांव के खिलाड़ी उसे मैदान का आकार स्वयं देते हैं और जब तक खेतों में किसान बुआई नहीं करते है तब तक उसमें फुटबॉल, क्रिकेट, वॉलीबाल आदि खेल खेलते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे खेल मैदान के अभाव में खेतों और गलियों में खेलने को मजबूर हैं। ऐसे में इनकी प्रतिभा उभरने की बजाए गांव में ही दम तोड़ रही हैं।
खेल मैदान की जगह मोबाइल गेम में व्यस्त
अभिभावकों का कहना है कि भागमभाग भरी जिंदगी में खेल के लिए समय निकाल पाना काफी मुश्किल है। इन व्यस्तताओं के बीच यदि थोड़ा समय मिलता है तो खेल के लिए जगह नहीं मिल पाती। मैदान न होने से बच्चे मोबाइल में ही गेम खेलकर इतिश्री कर लेते हैं। इससे वे तरह-तरह की बीमारियों से घिरने लगते हैं। बच्चे खेल के लिए तरस जाते हैं। यदि अच्छे खेल मैदान न होंगे तो खिलाड़ी कैसे उभर सकेंगे। सरकार को इस दिशा में ध्यान देना चाहिए। खेल मैदान न होने से बच्चे खेलों से दूर होते जा रहे हैं। मांग है गांधीग्राम सहित ग्रामीण क्षेत्रों के शासकीय स्कूलों की खेल के मैदान की शासकीय भूमि पर अतिक्रमण मुक्त कर ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार खेल मैदान की सुविधा मुहैया करवाए जिससे यहां के खिलाड़ी भी देश में अपना नाम रोशन कर सकते हैं।

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